Raghopur: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब राघोपुर को सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने का ऐलान कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। जल संसाधन विभाग ने इसकी विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली है और राघोपुर के समग्र विकास के लिए एक विशेष कमेटी का भी गठन कर दिया गया है।
नीतीश कुमार ने खुद अपने एक्स हैंडल से यह जानकारी साझा की, जिसके बाद राज्य की राजनीति में चर्चाओं का दौर तेज हो गया। उन्होंने बताया कि राघोपुर (Raghopur) में अब निवेश के नए रास्ते खुलेंगे और इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के कई अवसर प्राप्त होंगे।
पटना से सीधे जुड़ा राघोपुर, विकास की खुलीं नई राहें
इसी महीने नीतीश कुमार ने कच्चीदरगाह-बिदुपुर छह लेन पुल के राघोपुर तक के हिस्से का उद्घाटन किया। इस पुल के शुरू होते ही राघोपुर पहली बार पटना से सीधे सड़क मार्ग से जुड़ गया है। यह पुल गंगा नदी पर बना हुआ एशिया का सबसे बड़ा पुल माना जा रहा है।
पुल के उद्घाटन के तुरंत बाद एनडीए नेताओं ने राघोपुर (Raghopur) के विकास को केंद्र में लाकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को उनके ही विधानसभा क्षेत्र में घेरना शुरू कर दिया। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि पुल के उद्घाटन समारोह में तेजस्वी यादव को बुलाया गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए।
लालू परिवार की परंपरागत सीट पर अब सवाल
राघोपुर विधानसभा सीट पिछले 35 वर्षों से लालू यादव और उनके परिवार के पास रही है, लेकिन अब एनडीए इसे एक विकास मॉडल बनाकर पेश कर रही है। नीतीश कुमार के कार्यकाल में न सिर्फ पुल बना, बल्कि दियारा क्षेत्र (Raghopur) के लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी, बाढ़ प्रबंधन और बुनियादी सुविधाएं भी मिली हैं।
क्या राघोपुर से हार का डर है तेजस्वी को?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, जो कि INDIA गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, इस बार सिर्फ राघोपुर (Raghopur)से नहीं बल्कि एक दूसरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव अब मधुबनी जिले की फुलपरास सीट से भी मैदान में उतर सकते हैं। यह वही सीट है, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर 1977 में विधायक चुने गए थे। आरजेडी प्रवक्ता ऋषिकेश कुमार ने भी इस खबर की पुष्टि की है।
फुलपरास से क्यों लड़ेंगे तेजस्वी?
आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि उत्तर बिहार में INDIA गठबंधन की स्थिति कमजोर है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की 130 सीटों में से 100 से ज्यादा सीटें एनडीए के पास हैं और आरजेडी 2020 में दरभंगा और मधुबनी में सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी। इसलिए, तेजस्वी यादव का फुलपरास से चुनाव लड़ना राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है ताकि दरभंगा, सहरसा, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, शिवहर और सीमांचल में पार्टी की पकड़ मजबूत की जा सके।
जेडीयू का पलटवार: “नीतीश के विकास से डर गए तेजस्वी”
इस बीच जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि राघोपुर (Raghopur)में नीतीश कुमार के तेज विकास कार्यों को देखकर तेजस्वी घबरा गए हैं। उन्होंने कहा, “अब तेजस्वी को अपनी ही सीट से हार का डर सताने लगा है। इसलिए वो राहुल गांधी की तरह दो सीटों से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।” नीरज कुमार ने यह भी जोड़ा, “चाहे वो राघोपुर से लड़ें या फुलपरास से, बिहार की जनता जंगलराज-2 की वापसी नहीं चाहती। इस बार उन्हें दांतों तले चने चबाने पड़ेंगे।”
राघोपुर अब सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि विकास बनाम विरासत की जंग का मैदान बन चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां इसे सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने का वादा कर रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव इस बार राजनीतिक समीकरण साधने के लिए दूसरी सीट से भी चुनावी ताल ठोक सकते हैं। आने वाला विधानसभा चुनाव यह तय करेगा कि राघोपुर (Raghopur) विकास के नाम पर वोट करता है या पारंपरिक राजनीति के भरोसे।