Anant Singh News: बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो गया है और पहले ही दिन नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ लेनी है। इसी बीच सबसे अधिक चर्चा छोटे सरकार के नाम से लोकप्रिय नेता अनंत सिंह को लेकर हो रही है। फिलहाल वे दुलारचंद यादव हत्याकांड मामले में बेऊर जेल में बंद हैं, लेकिन शपथ ग्रहण को लेकर उनके वकीलों ने पटना हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका दायर कर दी है। इससे राजनीतिक हलचल और बढ़ गई है।
Anant Singh News: हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत की मांग
अनंत सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि संविधान के तहत 1 से 5 दिसंबर के बीच शपथ लेना अनिवार्य है। इसलिए उन्हें अस्थायी रूप से जेल से बाहर आने की अनुमति दी जानी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक सत्ता पक्ष के विधायक होने के नाते हाई कोर्ट उन्हें सीमित अवधि की अंतरिम राहत दे सकता है, हालांकि राहत मिलने की स्थिति में कुछ कड़े नियम और शर्तें भी तय की जा सकती हैं। अगर जमानत मिलती है, तो अनंत सिंह अपने समर्थकों के बीच थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन दिखाई दे सकते हैं।
कैसे हुई थी गिरफ्तारी?
अक्तूबर में चुनाव प्रचार के दौरान पटना के टाल इलाके में जनसुराज समर्थकों और अनंत सिंह के समर्थकों के बीच झड़प हुई थी। इस झड़प में दुलारचंद यादव की हत्या हो गई। मृतक के परिजनों ने अनंत सिंह का नामजद FIR दर्ज कराया, जिसके बाद उसी दिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया। निचली अदालत ने 20 नवंबर को जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
जेल में रहते हुए चुनाव जीतने का यह दूसरा मौका
अनंत सिंह का राजनीतिक प्रभाव जेल में रहते हुए भी कम नहीं हुआ। उनके समर्थकों ने पूरे दमखम के साथ प्रचार किया और परिणामस्वरूप उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीता हो। 2020 में भी उन्होंने ऐसा ही किया था और तब उन्हें पैरोल पर बुलाकर विधानसभा में शपथ दिलाई गई थी। इस बार भी ऐसी ही संभावना जताई जा रही है क्योंकि अभी तक इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है और न ही कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया है।
संवैधानिक नियम: कैसे शपथ लेते हैं जेल में बंद विधायक?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 188 के तहत किसी भी विधायक के लिए शपथ लेना अनिवार्य है। आमतौर पर जेल में बंद विधायक अदालत से अंतरिम जमानत या पैरोल लेकर विधानसभा में पहुंचते हैं और वहां शपथ लेते हैं। बहुत दुर्लभ मामलों में अधिकृत अधिकारी जेल पहुंचकर भी शपथ दिला सकता है, लेकिन ऐसे मामले बेहद कम देखने को मिलते हैं।
6 महीने की सीमा और उपस्थिति का नियम
हालांकि शपथ लेने के लिए कोई तय अंतिम तिथि निर्धारित नहीं है, लेकिन यदि कोई विधायक छह महीने तक सदन में शामिल नहीं होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है। शपथ लेने के बाद यदि अनंत सिंह जेल में ही रहते हैं, तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष को अपनी अनुपस्थिति की सूचना देनी होगी, क्योंकि कोई भी सदस्य लगातार 59 दिनों से अधिक सदन से अनुपस्थित नहीं रह सकता।
आगे की संभावनाएँ: क्या मिल सकती है राहत?
अनंत सिंह का राजनीतिक भविष्य फिलहाल दो परिस्थितियों पर निर्भर करता है। पहली स्थिति—यदि पुलिस हल्की धाराओं में चार्जशीट दायर करती है, तो उन्हें नियमित जमानत मिलने की पूरी संभावना है और वे सदन की कार्यवाही में भी शामिल हो सकेंगे। दूसरी स्थिति—यदि उन पर गंभीर आरोप तय हुए या अदालत ने उन्हें दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई, तो प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत उनकी विधायकी स्वतः समाप्त हो जाएगी। 2022 में अवैध हथियार मामले में उन्हें दस साल की सजा मिली थी, जिस वजह से उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी, हालांकि 2024 में हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया था।
सबकी नजर हाई कोर्ट के फैसले पर
अनंत सिंह आज शपथ लेंगे या नहीं—इसका फैसला पूरी तरह पटना हाई कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा। अगर उन्हें अंतरिम जमानत या पैरोल मिल जाती है, तो वे सदन में पहुंचकर शपथ ले सकते हैं, अन्यथा वे फिलहाल जेल में ही रहकर राजनीतिक लड़ाई जारी रखेंगे।








