Bihar Politics: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। तीन साल से अधिक समय से लंबित पड़े बिजली बिल विवाद के बीच तेज प्रताप यादव ने आखिरकार ₹3,56,000 से ज्यादा का बकाया बिजली बिल जमा कर दिया है। सरकारी आवास का यह बकाया बिल हाल के दिनों में राजनीतिक हलकों में तीखी बहस का विषय बना हुआ था।
Bihar Politics: क्यों नहीं काटा गया कनेक्शन? बिजली विभाग पर उठे गंभीर सवाल
सवाल इसलिए भी उठे क्योंकि आम उपभोक्ताओं पर बिजली विभाग का नियम बेहद सख्त है। ₹25,000 से अधिक बकाया होते ही बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है। लेकिन तेज प्रताप यादव के आवास पर तीन साल से अधिक समय तक लाखों का बकाया होने के बावजूद कनेक्शन चालू रहा। इस पर विपक्ष ने बिजली विभाग पर पक्षपात और दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। विभाग के अधिकारी इस मामले में स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं, जिससे संदेह और गहरा हो गया है।
बिल भुगतान के बाद भी विभाग की किरकिरी जारी
बिल जमा करने के बावजूद मामला शांत नहीं हुआ है। जनता और विपक्ष अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या VIP लोगों के लिए नियम अलग होते हैं? क्या बिजली विभाग ने जानबूझकर कार्रवाई से परहेज किया? क्या अधिकारियों पर दबाव था? बिजली विभाग की चुप्पी इन सवालों को और मजबूत कर रही है।
विभाग ने शुरू की सख्ती, बड़े बकायेदारों पर शिकंजा
विवाद तेज होने पर बिजली विभाग ने अचानक सख्त रवैया अपनाते हुए निर्देश जारी किए हैं कि सभी बड़े बकायेदारों को तुरंत नोटिस भेजा जाए, बकाया राशि की वसूली अभियान चलाया जाए, किसी भी उपभोक्ता को नियमों से बाहर कोई राहत नहीं दी जाएगी। इसके बाद विभाग की टीम लगातार विभिन्न इलाकों में जाकर बड़े बकायेदारों से वसूली कर रही है।
जनता में नाराजगी, सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए अधिकारी
इस पूरे मामले ने बिजली विभाग की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं “अगर आम आदमी का बिल 25,000 हो जाए तो बिजली काट दी जाती है, लेकिन नेता हों तो नियम बदल जाते हैं?” अधिकारी इस सवाल का सीधा जवाब देने में असमर्थ दिख रहे हैं।








