E-Shram Card Fraud: बिहार में मजदूरों के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ई-श्रम योजना अब ठगों के निशाने पर आ गई है। हाल ही में सुल्तानगंज प्रखंड से यह खुलासा हुआ कि साइबर कैफे संचालकों और एजेंटों का गिरोह मजदूरों से कार्ड अपडेट या नवीकरण के नाम पर अवैध वसूली कर रहा है।
कैसे हो रही है ठगी?
मजदूरों को लालच दिया जा रहा है कि ई-श्रम कार्ड अपडेट कराने के बाद उनके बैंक खाते में ₹3,000 की सहायता राशि आएगी। इसके बदले उनसे ₹300 से ₹500 तक की फीस वसूली जा रही है। कई मामलों में ठग बैंक पासबुक, OTP और आधार की जानकारी लेकर खाते से सीधे पैसे निकाल ले रहे हैं।
हजारों मजदूर बने शिकार
श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी अविनभ आलोक को मिली शिकायतों के अनुसार, अब तक 4,000 से अधिक लेबर कार्ड धारक इस जालसाजी का शिकार बन चुके हैं। इनमें ज्यादातर मजदूर गरीब तबके से हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं है।
सरकार की प्रतिक्रिया
श्रम विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दिए हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों को जागरूक करना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में जानकारी की कमी के कारण लोग आसानी से बहकावे में आ जाते हैं।
क्यों फंसे लोग ठगी में?
- जानकारी का अभाव — लोगों को यह पता नहीं कि ई-श्रम कार्ड के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता।
- लालच का झांसा — “₹3,000 तुरंत मिलेगा” जैसे झूठे वादे।
- डिजिटल साक्षरता की कमी — OTP, बैंक डिटेल जैसी गोपनीय जानकारी साझा करना।
मजदूरों के लिए जरूरी चेतावनी
- सिर्फ आधिकारिक वेबसाइट (eshram.gov.in) या सरकारी दफ्तरों से ही ई-श्रम कार्ड बनवाएँ।
- किसी भी एजेंट या साइबर कैफे को पैसे न दें, क्योंकि कार्ड बनवाने और अपडेट कराने की प्रक्रिया पूरी तरह निशुल्क है।
- कभी भी अपना OTP, पासबुक या बैंक संबंधी जानकारी किसी को साझा न करें।
- यदि किसी ने धोखाधड़ी की है तो तुरंत स्थानीय थाने या श्रम विभाग को शिकायत करें।
ई-श्रम कार्ड का उद्देश्य मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा देना था, लेकिन बिहार में इसके नाम पर चल रही ठगी गरीब मजदूरों की जेब पर भारी पड़ रही है। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन मिलकर इस तरह के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाएँ और साथ ही मजदूरों को जागरूक करें।
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