Bihar Election 2025: चुनाव आयोग की बैठक से गायब रहे मांझी और मुकेश सहनी, क्या कारण है अनदेखी?

On: Saturday, October 4, 2025 8:25 PM
Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में शनिवार को एक बैठक बुलाई गई, जिसमें राज्य के सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया था। लेकिन इस बैठक में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को आमंत्रण नहीं मिला और उसी वजह से उनकी पार्टियों की भूमिका चुनावी प्रक्रिया में चर्चा का विषय बनी हुई है।

Bihar Election 2025: कौन बुलाया गया, कौन नहीं?

चुनाव आयोग की ओर से कुल 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को बैठक में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। इसमें 6 राष्ट्रीय दल (जैसे भाजपा, कांग्रेस, आप, बसपा, सीपीआई, एनपीपी), 6 राज्य दल (जैसे JDU, RJD, LJP (रामविलास), RALOSPA जैसी दल) को आमंत्रित किया गया।

परंतु हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) जिसे जीतन राम मांझी का नेतृत्व है और Vikassheel Insaan Party (VIP)  मुकेश सहनी की पार्टी को इस सूची में शामिल नहीं किया गया। इसकी वजह यह है कि ये दोनों पार्टियाँ फिलहाल चुनाव आयोग की मान्यता प्राप्त दलों की सूची में नहीं हैं।

मान्यता हासिल करना क्यों मायने रखता है?

राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा मिलने से कई अधिकार मिलते हैं — जैसे कि बैठक में शामिल होना, विशेष संवाद, पार्टी चिन्ह आदि। HAM के मामले में, यह तथ्य सार्वजनिक है कि उन्होंने अभी तक आयोग से स्थायी मान्यता की मांग की है। VIP (विकासशील इंसान पार्टी) भी आयोग के राष्ट्रीय-संबद्ध दलों की सूची में नहीं दिखाई दी है। इसलिए चुनाव आयोग ने इस बैठक में केवल उन दलों को आमंत्रित किया जो पहले से मान्यता प्राप्त हैं — और इसलिए मांझी और सहनी की पार्टियों को निमंत्रण नहीं दिया गया।

बैठक में क्या हुआ?

बैठक में आयोग और उपस्थित दलों ने निम्न बिंदुओं पर चर्चा की :

  • चुनाव प्रक्रिया, सुरक्षा, और आचार संहिता संबंधी सुझाव
  • JDU की ओर से एक प्रस्ताव — एक चरण में चुनाव कराने का
  • BJP ने सुझाव दिया कि मतदान से 24 घंटे पहले मतदाताओं को SMS नोटिफिकेशन भेजा जाए
  • BJP ने यह भी प्रस्ताव रखा कि बुर्का पहनने वाली महिलाएँ यदि वोट देने आती हों, उन्हें पहचान के लिए आवश्यक व्यवस्था हो ताकि प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।

इन सभी बिंदुओं पर दलों ने अपनी सहमति और आपत्तियाँ आयोग के सामने प्रस्तुत कीं। बैठक समाप्ति के बाद, आयोग ने कहा कि आगामी बिहार चुनाव छठ त्योहार के बाद होंगे, और मतदान को कम चरणों मे कराने की सलाह दी गई।

 मसले और राजनीति

HAM और VIP जैसे दलों का बहिर्वासन राजनीतिक दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जा रहा है। ये पार्टियाँ निर्वाचन प्रक्रिया में बराबर भागीदारी चाहती हैं मान्यता मिलने से उनका स्थान मजबूत होगा। इसके अलावा, विपक्ष इन बहिष्कारों को “असमान लोकतंत्र” की आलोचना के रूप में उपयोग कर सकता है।

चुनाव आयोग की इस बैठक में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को आमंत्रित न करने का कारण साफ है। उनकी पार्टियों को चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त दल का दर्जा अभी नहीं मिला है। लेकिन यह एक राजनीतिक संदेश भी है यह दिखाने का कि राजनीतिक पहचान और मान्यता कितनी अहम होती है। 2025 के बिहार चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन दलों को आगे क्या रणनीति अपनानी होगी ताकि उन्हें लोकतंत्र के मंच पर स्वीकार्यता मिले।

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