Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए (NDA) के अंदर चल रही सीट बंटवारे की सियासी खींचतान अब खत्म होती नजर आ रही है। हम (Hindustani Awam Morcha) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की नाराजगी आखिरकार दूर हो गई है। भाजपा (BJP) ने मांझी की सीटों की मांग पर सहमति जताकर बड़ा राजनीतिक संदेश दे दिया है।
Bihar Election 2025: मांझी की ‘15 सीटों’ की मांग पर बनी बात
बीते कुछ दिनों से बिहार की सियासत में यह चर्चा जोरों पर थी कि जीतन राम मांझी 15 विधानसभा सीटों की मांग पर अड़े हैं। भाजपा शुरू में इतनी सीटें देने के पक्ष में नहीं थी, क्योंकि पिछली बार 2020 के विधानसभा चुनाव में मांझी की पार्टी को सिर्फ 7 सीटें दी गई थीं। लेकिन अब सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने बातचीत के बाद मांझी की शर्तों पर सहमति जताई है। यानी NDA में सीटों का फॉर्मूला अब लगभग तय माना जा रहा है।
जीतन राम मांझी का इमोशनल पोस्ट हुआ वायरल
रविवार को जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिससे संकेत साफ हो गया कि मतभेद खत्म हो गए हैं। उन्होंने लिखा — “अभी मैं पटना निकल रहा हूँ… वैसे एक बात बता दूँ मैंने पहले भी कहा था और आज फिर से कह रहा हूँ… मैं जीतन राम मांझी अपने अंतिम साँस तक माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी के साथ रहूँगा। ‘बिहार में बहार होगी, नीतीश संग मोदी जी की सरकार होगी।’”
इस पोस्ट से यह साफ हो गया कि मांझी अब NDA के साथ मजबूती से खड़े हैं।
NDA में एकता का संदेश
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मांझी की नाराजगी दूर होना NDA के लिए एक बड़ी राहत है। जहाँ एक ओर एलजेपी (रामविलास) और जदयू (JDU) के बीच सीटों को लेकर बातचीत जारी है, वहीं मांझी की हामी से यह संकेत गया है कि एनडीए अब एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है।
पिछले चुनाव में हम पार्टी का प्रदर्शन
साल | पार्टी | मिली सीटें | जीती सीटें |
2020 | हम (Hindustani Awam Morcha) | 7 | 4 |
2015 | हम | 21 (महागठबंधन में) | 1 |
2010 | जदयू के साथ | – | – |
2020 में मांझी की पार्टी ने चार सीटें जीतकर NDA में अपनी पहचान बनाई थी। इस बार वह अपने जनाधार को और मजबूत करने के मूड में हैं।
मांझी की भूमिका क्यों अहम है?
जीतन राम मांझी बिहार के दलित वर्ग में खास पकड़ रखते हैं। वह न केवल मगध क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं, बल्कि कई सीटों पर उनके उम्मीदवार निर्णायक साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि भाजपा ने चुनावी समीकरण को देखते हुए उनकी मांगें मानकर सियासी संतुलन बनाए रखा है।
अब आगे क्या?
सूत्रों के अनुसार, भाजपा और हम पार्टी के बीच सीट शेयरिंग का औपचारिक ऐलान अगले कुछ दिनों में हो सकता है। मांझी का यह रुख NDA के लिए जहां मजबूती का संकेत है, वहीं विपक्षी महागठबंधन के लिए यह एक नई चुनौती बनकर उभरा है।
जीतन राम मांझी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बिहार की सियासत में वह सिर्फ नाम नहीं, बल्कि निर्णायक फैक्टर हैं। उनकी 15 सीटों की मांग पर भाजपा का झुकना यह दर्शाता है कि NDA हर सहयोगी को साथ लेकर ही 2025 की सत्ता की जंग में उतरना चाहता है। अब देखना होगा कि मांझी की पार्टी किन सीटों पर उम्मीदवार उतारती है और बिहार की सियासत में उनकी क्या भूमिका बनती है।
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