Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीति का पारा चढ़ गया है। सभी दल चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं। इस बीच आरजेडी (RJD) के लिए सबसे बड़ी चुनौती बाहरी विरोध नहीं बल्कि अंदरूनी कलह बनती दिख रही है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जहां बिहार अधिकार यात्रा में जुटे हैं, वहीं परिवार के भीतर विवाद गहराने लगा है। अब चर्चाएं तेज हैं कि क्या तेजप्रताप यादव के बाद उनकी बहन रोहिणी आचार्य भी पार्टी से दूरी बना सकती हैं? उनके हालिया सोशल मीडिया पोस्ट इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
रोहिणी आचार्य का आत्मसम्मान वाला पोस्ट
रोहिणी आचार्य ने एक्स (Twitter) पर लिखा “मैंने एक बेटी और बहन के तौर पर अपना धर्म निभाया है और आगे भी निभाऊंगी। मुझे किसी पद की लालसा नहीं, न ही राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। मेरे लिए मेरा आत्म-सम्मान सबसे ऊपर है।” यह बयान साफ दर्शाता है कि लालू परिवार के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है।
इससे पहले रोहिणी आचार्य ने अस्पताल का एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें वे स्ट्रेचर पर लेटी दिख रही थीं। इसके साथ उन्होंने लिखा “जो जान हथेली पर रखकर बड़ी कुर्बानी देने का जज्बा रखते हैं, उनके खून में ही बेखौफी और खुद्दारी बहती है।”
गौरतलब है कि रोहिणी ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को अपनी एक किडनी दान की थी। लालू यादव के दोनों किडनी खराब हो चुके थे और उनका इलाज सिंगापुर में हुआ था। ऐसे में यह पोस्ट उनकी नाराजगी और त्याग दोनों को उजागर करता है।
विवाद की जड़: संजय यादव का मामला
दरअसल, विवाद की शुरुआत तब हुई जब बिहार अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव बस की अगली सीट पर बैठे नजर आए। परंपरा के मुताबिक यह सीट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए आरक्षित मानी जाती है।
इस पर सोशल मीडिया यूजर आलोक कुमार की एक टिप्पणी को रोहिणी ने बिना कुछ लिखे शेयर कर दिया। हालांकि संजय यादव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद रोहिणी ने शाम तक एक और पोस्ट करते हुए दो नेताओं की तस्वीर साझा की और लिखा “वंचितों और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वर्ग को आगे लाना ही लालू यादव जी के सामाजिक-आर्थिक न्याय अभियान का असली मकसद है।”
तेजप्रताप यादव भी पहले से खफा
रोहिणी से पहले तेजप्रताप यादव भी संजय यादव को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। वे कई बार बिना नाम लिए उन्हें “जयचंद” कहकर निशाना साध चुके हैं। अब तेजस्वी यादव को चुनाव से पहले परिवारिक मतभेद और विपक्षी चुनौती, दोनों का सामना करना पड़ रहा है।
चुनाव से पहले बड़ी चुनौती
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लालू परिवार की अंदरूनी कलह ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। तेजस्वी यादव के सामने एक ओर जनता का विश्वास जीतने की चुनौती है और दूसरी ओर घर के भीतर का विवाद उनकी रणनीति कमजोर कर सकता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि तेजस्वी इन हालातों से कैसे निपटते हैं।
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