Bihar Health: बिहार में इलाज बना मज़ाक, हाथ में फ्रैक्चर था, पैर में चढ़ा दिया प्लास्टर

On: Tuesday, June 17, 2025 12:22 AM
Bihar Health

Bihar Health: बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। इस बार मामला ऐसा है जिसे सुनकर कोई भी हैरान रह जाए। नेपाल की एक महिला, जो हाथ में फ्रैक्चर की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची थीं, उनके पैरों में प्लास्टर चढ़ा दिया गया। जब दर्द में कोई राहत नहीं मिली, तब असली सच्चाई सामने आई।

सड़क हादसे में घायल हुई थी महिला

नेपाल के चन्द्रनिगाहपुर की रहने वाली कौशल्या देवी सीतामढ़ी में एक सड़क दुर्घटना की शिकार हो गई थीं। हादसे के बाद उनके हाथ और पैर दोनों में दर्द होने लगा। दर्द तेज़ होता देख वे सीतामढ़ी सदर अस्पताल इलाज (Bihar Health) के लिए पहुंचीं।

अस्पताल में पर्ची कटवाने के बाद एक अज्ञात व्यक्ति कौशल्या के पास आया और भरोसा दिलाया कि बगल में मौजूद एक “प्राइवेट डॉक्टर” उनका बेहतर इलाज कर सकता है। महिला और उनके परिजन भरोसा कर उस गुमटी वाले डॉक्टर के पास चले गए। यहां बिना (Bihar Health) किसी एक्स-रे या जांच के डॉक्टर ने हाथ के साथ-साथ पैर में भी प्लास्टर चढ़ा दिया। कौशल्या देवी को दर्द में कुछ राहत नहीं मिली, बल्कि हालत और बिगड़ गई।

मुजफ्फरपुर में खुला पोल: पैर में कोई फ्रैक्चर नहीं

दो दिन तक दर्द सहने के बाद परिजन उन्हें मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल ले गए। यहां वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्ञानेन्दु शेखर और डॉ. पी.एन. वर्मा ने एक्स-रे जांच कराई। रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी चौंक गए — कौशल्या देवी के पैर में कोई फ्रैक्चर नहीं था, केवल हाथ में ही हड्डी टूटी थी। डॉक्टरों ने तुरंत पैर का प्लास्टर हटाया और सही इलाज शुरू किया। अब (Bihar Health) मरीज की हालत सामान्य बताई जा रही है।

डॉ. ज्ञानेन्दु शेखर ने बताया कि मरीज को पैर में सिर्फ हल्की चोट थी, जिसमें बर्फ से सिंकाई और आराम की जरूरत थी, न कि प्लास्टर की। ऐसे मामलों में गलत इलाज मरीज के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

मेडिकल माफिया पर उठे सवाल

इस घटना ने एक बार फिर (Bihar Health) बिहार में मौजूद फर्जी डॉक्टरों और दलालों की मिलीभगत को उजागर कर दिया है। कैसे सरकारी अस्पतालों के बाहर बैठे दलाल मरीजों को झांसे में लेकर गुमराह करते हैं और इलाज के नाम पर उनके साथ खिलवाड़ किया जाता है।

प्रशासन की चुप्पी

अब तक इस (Bihar Health) मामले पर किसी स्वास्थ्य अधिकारी की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सवाल ये भी उठता है कि सदर अस्पताल परिसर में ऐसे फर्जी डॉक्टर कैसे सक्रिय हैं, और कौन उन्हें संरक्षण दे रहा है?

कौशल्या देवी की कहानी केवल एक मरीज की नहीं है, बल्कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों का आईना है। अगर समय रहते सही इलाज नहीं हुआ होता, तो बड़ी हानि हो सकती थी। अब जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो और ऐसे फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

Also Read :बिहार में ‘डीके बॉस’ की गूंज, क्या सचमुच नीतीश सरकार के पीछे कोई और चला रहा है सत्ता की डोर

Also Read: पांडेचक बालू घाट पर 12 लाख की डकैती, लुटेरों ने मचाया आतंक, ताबड़तोड़ फायरिंग से दहशत

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment