Bihar School News: बिहार के सरकारी स्कूलों में अब फर्जी नामांकन और दोहरे दाखिले पर लगाम कसने की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा विभाग ने एक नया नियम जारी किया है जिसके तहत अगले सत्र 2026 से सभी छात्रों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। इस कदम से न केवल फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता भी आएगी।
Bihar School News: अब दोहरे नामांकन पर लगेगी सख्त रोक
बिहार के शिक्षा विभाग को यह शिकायतें मिल रही थीं कि कई छात्र एक साथ दो स्कूलों में नामांकित हैं। इससे सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों और मिड-डे मील जैसी योजनाओं में गड़बड़ी हो रही थी। अब विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एक छात्र का नाम केवल एक स्कूल में ही रहेगा। इसके लिए हर छात्र का डेटा अब ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, जिससे विभाग को तुरंत पता चल सकेगा कि कोई बच्चा दो स्कूलों में तो दर्ज नहीं है।
जिलेवार जांच टीम करेगी निगरानी
शिक्षा विभाग ने बताया कि हर जिले में एक विशेष जांच टीम गठित की जाएगी, जो सभी स्कूलों के नामांकन की सत्यता की जांच करेगी। जिला शिक्षा अधिकारी के मुताबिक, 2025 में 600 से अधिक बच्चों का दोहरा नामांकन पाया गया था। इसलिए 2026 सत्र में किसी भी स्थिति में यह गलती दोहराने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अब स्कूलों में नामांकन के समय आधार कार्ड देना अनिवार्य होगा। इससे छात्रों की पहचान की पुष्टि आसानी से हो सकेगी। इस प्रणाली के कई फायदे हैं, फर्जी नामांकन और डुप्लिकेट रिकॉर्ड पर पूरी तरह रोक। सरकारी योजनाओं और छात्रवृत्तियों का लाभ सही छात्र को मिलेगा। जन्म तिथि और पते की जानकारी सत्यापित होगी। ट्रांसफर के दौरान छात्र का रिकॉर्ड तुरंत उपलब्ध रहेगा।
शिक्षा व्यवस्था में आएगी पारदर्शिता
शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए। फर्जी नामांकन के कारण विभाग को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। अब जब हर छात्र का नाम और आधार एक यूनिक आईडी से लिंक होगा, तो हर तरह की अनियमितता पर रोक लग सकेगी।
2026 सत्र से लागू होगा नया नियम
यह नया नियम शैक्षणिक सत्र 2026 से लागू किया जाएगा। इसके तहत सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वे हर छात्र के आधार विवरण को पोर्टल पर दर्ज करें। नियम का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
बिहार में शिक्षा विभाग का यह कदम निश्चित रूप से एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है। इससे फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी, योजनाओं का सही उपयोग होगा और छात्रों का वास्तविक रिकॉर्ड तैयार किया जा सकेगा। यह पहल राज्य में डिजिटल शिक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता की दिशा में एक मजबूत कदम है।
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