Bihar School News: मोतीहारी जिले के अरेराज प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय रढिया में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई है। यहां के प्रधानाध्यापक (HM) और शिक्षक छात्रों से फॉर्म भरने और ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) देने के नाम पर निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे वसूल रहे थे। विरोध करने वाले छात्रों को खुलेआम धमकी दी गई कि उनका करियर बर्बाद कर दिया जाएगा और प्रैक्टिकल परीक्षा में कम नंबर दिए जाएंगे।
बीडीओ की कार्रवाई में खुला भ्रष्टाचार का राज
छात्रों और अभिभावकों ने अवैध वसूली का वीडियो सबूत के साथ बीडीओ को भेजा। शिकायत पर अरेराज प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) आदित्य कुमार दीक्षित ने विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। जांच के दौरान छात्रों ने बताया कि कक्षा 10 के छात्रों से ₹1300 वसूले गए, जबकि असल शुल्क सामान्य वर्ग के लिए ₹980 और SC/EBC वर्ग के लिए ₹865 निर्धारित था। कक्षा 12 के छात्रों से सामान्य वर्ग के लिए ₹1560 और SC/EBC वर्ग से ₹1300 वसूले गए, जबकि वास्तविक शुल्क क्रमशः ₹1430 और ₹1170 था। TC के लिए बच्चों से ₹550 से ₹620 तक की वसूली की जाती थी।
जब छात्रों ने अतिरिक्त शुल्क पर सवाल उठाया तो शिक्षक अनुराग सिंह ने कहा, “जहां कम फीस लगती है, वहां जाकर फॉर्म भरवा लो।”
करियर बर्बाद करने की धमकी
छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रधानाध्यापक ने साफ कहा “अगर विरोध करोगे तो तुम्हारा करियर खा जाऊंगी और प्रैक्टिकल में नंबर कटवा दूंगी।” इस तरह शिक्षा के नाम पर बच्चों को मानसिक रूप से डराया और दबाया जा रहा था। छात्रा सुझाता ने बताया कि इतिहास विषय की परीक्षा सुबह 9:30 बजे शुरू होनी थी, लेकिन अव्यवस्था के कारण यह 11:00 बजे शुरू की गई। इतना ही नहीं, एक प्रश्न पत्र से पांच बच्चों को उत्तर लिखने के लिए कहा गया और कॉपी की जगह फटे हुए पन्ने दिए गए।
बीडीओ की कड़ी फटकार
जांच के दौरान HM बच्चों का सामना नहीं कर पाईं और गलती स्वीकार की। इसके बाद BDO ने आदेश दिया कि आज शाम 4 बजे तक बच्चों की सूची बनाकर अतिरिक्त राशि वापस की जाए। 24 घंटे के अंदर HM और दोनों शिक्षकों से लिखित स्पष्टीकरण मांगा जाए। इस घोर अनियमितता की रिपोर्ट जिला पदाधिकारी को भेजी जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
गरीब और असहाय बच्चों के साथ धोखा
सरकार जहां गरीब और असहाय बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का दावा करती है, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। बच्चों और अभिभावकों की मजबूरी का फायदा उठाकर शिक्षक मोटी कमाई कर रहे हैं।
शिक्षा को मंदिर कहा जाता है, लेकिन मोतीहारी के इस विद्यालय में यह मंदिर रिश्वतखोरी का अड्डा बन चुका था। बीडीओ की त्वरित कार्रवाई से कई बच्चों को न्याय मिला है, लेकिन यह मामला इस सवाल को खड़ा करता है कि, क्या हमारे सरकारी विद्यालय सच में शिक्षा देने के लिए हैं, या छात्रों के सपनों की कीमत वसूलने के लिए?
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