Bihar School Roof Collapse: नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड के इशापुर प्राथमिक विद्यालय में बुधवार की सुबह दर्दनाक हादसा हुआ। बताया जा रहा है कि जब बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, तभी जर्जर भवन की छत अचानक भरभरा कर गिर पड़ी। इस हादसे में छह बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि एक बच्चे की हालत नाजुक बताई जा रही है। घटना के बाद पूरे विद्यालय परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया और बच्चे व शिक्षक किसी तरह अपनी जान बचाकर बाहर निकले।
Bihar School Roof Collapse: शिक्षकों की सूझबूझ से टली बड़ी दुर्घटना
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के दौरान छत का एक हिस्सा पहले गिरने लगा, जिसके बाद शिक्षकों ने तुरंत बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास किया। इसी सूझबूझ से कई बच्चों की जान बच गई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर शिक्षक फौरन कदम नहीं उठाते, तो यह हादसा और भी भयावह हो सकता था।
घायल छात्रों का इलाज जारी
घायल छात्रों को तुरंत भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान (बिम्स), पावापुरी भेजा गया। गंभीर रूप से घायल छात्र सत्या कुमार को बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया गया है। अन्य घायल छात्रों में विकी कुमार, शक्ति कुमार, आयुषी कुमारी और रानी कुमारी शामिल हैं। अंचल अधिकारी गिरियक ने बताया कि सभी घायल बच्चों का इलाज जारी है और प्रशासन उनकी हर संभव सहायता कर रहा है।
कई बार की थी शिकायत, फिर भी नहीं हुई मरम्मत
इस हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि विद्यालय भवन की दीवारों और छतों में लंबे समय से दरारें थीं, जिसकी शिकायत कई बार की गई, लेकिन शिक्षा विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। एक अभिभावक ने कहा – “हम अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, लेकिन यहां तो उनकी जान खतरे में पड़ी थी। अगर वक्त पर शिक्षक बाहर नहीं निकालते, तो अनहोनी हो जाती।”
प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
गिरियक अंचल अधिकारी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए भवन की स्थिति की जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट जल्द ही जिला मुख्यालय को भेजी जाएगी। अधिकारी ने यह भी कहा कि यदि भवन को खतरनाक पाया गया, तो उसमें कक्षाएं तुरंत बंद कर दी जाएंगी।
शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
यह हादसा शिक्षा विभाग की लापरवाही और उदासीनता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जहां एक ओर सरकार शिक्षा को प्राथमिकता देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर बच्चों को जर्जर भवनों में पढ़ाई के लिए मजबूर किया जा रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जर्जर भवन को तत्काल ध्वस्त कर नया स्कूल भवन बनाया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदी दोबारा न हो।
बच्चों की सुरक्षा हो सर्वोच्च प्राथमिकता
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि शिक्षा केवल किताबों से नहीं, बल्कि सुरक्षित माहौल से भी जुड़ी होती है। जब तक स्कूल भवन मजबूत और सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक बच्चों का भविष्य भी खतरे में रहेगा। सरकार और शिक्षा विभाग को चाहिए कि ऐसे पुराने व जर्जर विद्यालय भवनों की तुरंत जांच कर उन्हें पुनर्निर्मित करवाया जाए।
इशापुर प्राथमिक विद्यालय की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर दिखाती है। जरूरत है कि अब प्रशासन सिर्फ जांच नहीं, कार्रवाई करे, ताकि आने वाले दिनों में कोई बच्चा इस तरह की लापरवाही का शिकार न बने।
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