Bihar Special Status: काफी लंबे समय से देखा जाए तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए तैयारी हो रही है और पिछले महीने की ही बात है जब 9 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे तो संसद भवन में एनडीए की पहली बैठक में नीतीश कुमार ने इसके लिए अनुरोध किया था लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और बताया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा (Bihar Special Status) नहीं दिया जा सकता है.
मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा कि पहले राष्ट्रीय विकास परिषद में कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया था, लेकिन इसके लिए कई आधार थे. एनडीए ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा (Bihar Special Status) पहाड़ी और कठिन विभाग, कम जनसंख्या घनत्व, आदिवासी आबादी, सीमावर्ती रणनीतिक स्थिति, आर्थिक पिछड़ापन और राज्य के वित्त की गैर व्यवहार प्राकृतिक के आधार पर दिया था.
बिहार को केंद्र से मिलेंगे कई लाभ
भले ही बिहार को केंद्र की तरफ से विशेष राज्य का दर्जा (Bihar Special Status) नहीं मिला है लेकिन नीतीश कुमार ने लोगों को यह आस्वस्त किया है कि आने वाले दिनों में बिहार को केंद्र से कई लाभ मिलेंगे और भविष्य में यह मांग पूरी भी हो सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार ने बिहार पर विशेष ध्यान देने की बात कही है. लोकसभा चुनाव के बाद से ही देखा जाए तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जोर पकड़ रही थी. बिहार को विशेष राज्य दिलाने का दर्जा 2000 के बाद से ही उठ रहा है लेकिन राजनीतिक श्रेय की लड़ाई में यह मांग कभी पूरी नहीं हुई.
ढाई दशक बाद ऐसा संयोग बना है कि केंद्र में एनडीए सरकार और राज्य में भी एनडीए के साथ गठबंधन की सरकार है तो केंद्र सरकार भी बिहार के लिए कुछ करने को मजबूर होगी, पर बजट के एक दिन पहले सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसा नहीं हो पाएगा जिससे यह तो स्पष्ट है कि बिहार एनडीए के भीतर खटास बढ़ेगी क्योंकि मोदी कैबिनेट में भी जदयू को ना तो मनचाहा मंत्रालय और ना ही मनचाहा मंत्री पद मिला है. ऐसे में बिहार को विशेष राज्य (Bihar Special Status) का दर्जा नहीं मिलने पर नीतीश कुमार के सामने विधानसभा चुनाव 2025 में अपनी पार्टी को मजबूत करने का लक्ष्य होगा.
बिहार को लेकर तेज हुई सियासत
इन सभी मामलों (Bihar Special Status) को लेकर देखा जाए तो अब सियासत गरमा गई है, जहां राजद ने अब जदयू पर हमला कर दिया है और उनका कहना है कि जदयू हमेशा बिहार को विशेष दर्जे की राजनीति करती है. अब जब केंद्र ने नीतीश की मांग खारिज कर दी है तो जदयू नेताओं को केंद्र सरकार से इस्तीफा दे देना चाहिए और नीतीश कुमार को एनडीए से अलग हो जाना चाहिए.
इतना ही नहीं प्रशांत किशोर ने इस पर कहा है कि 2019 के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 40 में से 39 सांसद बिहार ने दिए और 2024 के चुनाव में 30 सांसद दिया है, जिनके दम पर उनकी तीसरी बार सरकार बनी है फिर भी बिहार की चिंता नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है.