Bihar Vidhansabha Speaker: विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर जदयू–बीजेपी में तकरार, गृह विभाग देने का असर दिखने लगा

On: Sunday, November 23, 2025 6:46 PM
Bihar Vidhansabha Speaker

Bihar Vidhansabha Speaker: बिहार में एनडीए की नई सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार 10वीं बार शपथ ली है और उनके साथ सभी मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ले ली है। लेकिन इसके बाद अब सबसे बड़ा राजनीतिक सवाल यह बन चुका है कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी। जदयू और बीजेपी दोनों ही इस पद पर दावा ठोक चुके हैं, और अब यही मुद्दा सरकार के भीतर हलचल पैदा कर रहा है।

Bihar Vidhansabha Speaker: गृह विभाग जाने के बाद जदयू और आक्रामक

नीतीश कुमार के लिए यह पहला मौका है जब उनके पास गृह विभाग नहीं होगा। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी अब बीजेपी के नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी संभालेंगे। ऐसे में जदयू का मानना है कि उन्होंने इतना अहम विभाग बीजेपी को सौंपकर बड़ा त्याग किया है, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष का पद उनके पास ही रहना चाहिए। जदयू समर्थकों का स्पष्ट कहना है कि बीजेपी के पास पहले से ही विधान परिषद में शक्तिशाली पद मौजूद है, क्योंकि अवधेश नारायण सिंह अभी सभापति हैं। इस तर्क के आधार पर जदयू विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है और उसका दावा पहले से ज्यादा मजबूत हो चुका है।

बीजेपी की दावेदारी मजबूत, दो बड़े नाम रेस में आगे

उधर बीजेपी भी पीछे हटने के मूड में नहीं है। पार्टी इस पद को अपने पास लाने की कोशिश में है और इसके लिए दो नामों पर सक्रिय रूप से चर्चा चल रही है। पहला नाम है वरिष्ठ विधायक और बिहार की राजनीति के अनुभवी चेहरे प्रेम कुमार का, जिनका विधानसभा में लंबा अनुभव रहा है। दूसरा नाम है पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी का, जिन्हें पार्टी संगठन और सरकार दोनों में मजबूत पहचान हासिल है। अगर अध्यक्ष का पद बीजेपी के हिस्से में जाता है, तो इन दोनों में से किसी एक को ही विधानसभा स्पीकर बनाए जाने की संभावना सबसे अधिक है।

जदयू की पसंद 8 बार के विधायक नरेंद्र नारायण यादव

दूसरी ओर जदयू ने भी अपनी पसंद तय कर रखी है। पार्टी के सबसे मजबूत दावेदार नरेंद्र नारायण यादव माने जा रहे हैं, जो मधेपुरा जिले की आलमनगर सीट से लगातार आठ बार विधायक चुने जा चुके हैं। 17वीं विधानसभा में वह उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं और सदन संचालन में उनका अनुभव उन्हें एक स्वाभाविक विकल्प बनाता है। जदयू का मानना है कि इतने अनुभवी और लगातार जीत दर्ज करने वाले नेता को ही विधानसभा की सबसे अहम कुर्सी पर बैठाया जाना चाहिए।

विशेष सत्र में होगा फैसला

इस बीच विधानसभा का विशेष सत्र 26 से 28 नवंबर तक बुलाया गया है। इसी दौरान 243 नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। राज्यपाल पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करेंगे, जो सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे। शपथ प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा, जहां यह तय होगा कि स्पीकर की कुर्सी जदयू के पास जाएगी या बीजेपी के पास।

स्पीकर की कुर्सी क्यों है इतनी महत्वपूर्ण?

बिहार की राजनीति में इस पद का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि विधानसभा की कार्यवाही, विधेयकों की सुचारू प्रगति और विपक्ष–सरकार के बीच संतुलन बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्पीकर के कंधों पर होती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश–सम्राट युगल की नई सरकार इस पद को किसके हवाले करती है।

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