Lalu Family Political Crisis: तीन मोर्चों पर घिरे तेजस्वी, RJD में बढ़ा असंतोष, आख़िर तूफान की जड़ कौन?

On: Sunday, November 23, 2025 10:46 AM
Lalu Family Political Crisis

Lalu Family Political Crisis: बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार हमेशा सत्ता की धुरी रहा है, लेकिन इस बार विवाद सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक संकट का रूप ले चुका है। रोहिणी आचार्य के आरोपों ने न सिर्फ परिवार की इमेज को झकझोर दिया है, बल्कि RJD की सियासी जमीन को भी कमजोर कर दिया है। रोहिणी का यह दावा कि उन्हें राबड़ी आवास से “भगा दिया गया, चप्पल दिखाई गई और गालियां दी गईं”, पार्टी के भीतर उठते तूफान को उजागर करता है।

रोहिणी के बाहर जाते ही उनकी तीनों बहनों का राबड़ी आवास छोड़कर निकल जाना इस बात का संकेत है कि परिवार के भीतर सब कुछ सामान्य नहीं है। वहीं, लालू-राबड़ी और तेजस्वी की चुप्पी इस विवाद को और रहस्यमय बना रही है।

Lalu Family Political Crisis: चुनावी हार के बाद बढ़ी बेचैनी

बिहार चुनाव 2025 में मिली करारी हार के बाद RJD महज 25 सीटों तक सिमट गई। कभी तेजस्वी यादव के नाम पर “भावी मुख्यमंत्री” के पोस्टर लगते थे, लेकिन आज वे पार्टी में दबाव में नजर आ रहे हैं। पार्टी के अंदर आरोपों के तीर सीधे तेजस्वी के खास सलाहकार संजय यादव और आईटी सेल प्रभारी रमीज नेमत खान पर चल रहे हैं। रोहिणी आचार्य भी इन्हीं नामों को लेकर भड़की हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यही विवाद पूरे परिवार में फूट की बड़ी वजह है।

RJD परिवार में अंदरूनी कलह—कौन किसके खिलाफ?

लालू प्रसाद यादव का परिवार इन दिनों गंभीर अंदरूनी कलह से गुजर रहा है। नौ संतानों वाले इस राजनीतिक घराने में मीसा भारती, रोहिणी आचार्य, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव सक्रिय राजनीति का चेहरा हैं, लेकिन महत्वाकांक्षाओं की टकराहट ने परिवार को कई अलग-अलग खेमों में विभाजित कर दिया है।

तेजप्रताप लंबे समय से नाराजगी जताते रहे हैं और हाल ही में मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा ने राजनीतिक हलकों में तरह-तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। मीसा और तेजस्वी के बीच प्रचार रणनीति और पार्टी पर वर्चस्व को लेकर पुरानी खटास किसी से छिपी नहीं है। वहीं रोहिणी आचार्य अपने बेटे के टिकट से लेकर पार्टी में अपनी भूमिका पर असंतोष पहले भी जता चुकी हैं और अब उन्होंने इसे सार्वजनिक मंच पर ला दिया है।

इस तनाव को और बढ़ाने वाला एक पहलू यह भी है कि तेजस्वी की पत्नी राजश्री पर टिकट वितरण और रणनीति में हस्तक्षेप के आरोप लग रहे हैं। इसी वजह से अब चर्चा इस बिंदु तक पहुँच गई है कि क्या परिवार का यह विवाद सिर्फ राजनीतिक मतभेद नहीं, बल्कि आगे चलकर संपत्ति के बंटवारे जैसे बड़े संकट में बदल सकता है।

लैंड फॉर जॉब केस—तेजस्वी पर मंडरा रहा सबसे बड़ा खतरा

लालू प्रसाद पहले ही इस मामले में चार्जशीटेड हैं और दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई जारी है। अगर अदालत ने उन्हें दो साल या उससे ज्यादा की सज़ा दी, तो सबसे बड़ा संकट तेजस्वी पर है। उनकी विधायकी तुरंत रद्द हो जाएगी, चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी और RJD का भविष्य अस्थिर हो जाएगा। यह पार्टी के लिए एक सियासी सुनामी साबित हो सकता है।

RJD की सियासत पर डबल नहीं, ट्रिपल झटका

  1. चुनावी हार
  2. पारिवारिक विस्फोट
  3. कानूनी संकट

इन तीनों मोर्चों ने लालू परिवार को पूरी तरह घेर लिया है। रोहिणी का आरोप सिर्फ पारिवारिक झगड़ा नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रहे अंदरूनी संघर्ष का लावा है जो अब फट पड़ा है।

आगे क्या? सुलह, बंटवारा या और बड़ा विस्फोट?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्ते RJD के भविष्य का फैसला करेंगे। या तो परिवार किसी समाधान पर पहुंचेगा, या फिर यह विवाद पार्टी को दो हिस्सों में बांट सकता है। इतना तय है कि बिहार की राजनीति का अगला अध्याय बेहद हलचल भरा होने वाला है।

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