Patna Airport: हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस दुर्घटना के बाद देशभर के एयरपोर्ट्स की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पटना का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहले से ही संवेदनशील श्रेणी में गिना जाता है, जहां हर उड़ान की लैंडिंग और टेकऑफ पायलट्स के लिए एक चुनौती साबित होती है।
हर लैंडिंग बनती है खतरे का सफर
पटना एयरपोर्ट (Patna Airport) की सबसे बड़ी समस्या इसकी भौगोलिक स्थिति है। फुलवारी शरीफ में स्थित यह एयरपोर्ट एक सीमित क्षेत्र में बना हुआ है, जहां रनवे के ठीक सामने रेलवे लाइन और उसके ऊपर से गुजरती हाईटेंशन वायर पायलट्स के लिए टेंशन का कारण बनते हैं। जब विमान लैंड करता है, तो वह तारों के बेहद करीब से गुजरता है, जिससे किसी भी तकनीकी चूक की स्थिति में बड़ा हादसा हो सकता है।
कई बार दी गई चेतावनी, अब तक नहीं उठाए गए ठोस कदम
एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा इस खतरे को लेकर कई बार संबंधित विभागों को अलर्ट किया गया है। रनवे की दिशा बदलने और (Patna Airport) एयरपोर्ट विस्तार की मांग वर्षों से की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। इसी बीच अहमदाबाद हादसे ने एक बार फिर इस बहस को तेज कर दिया है कि आखिर कब तक पायलट्स और यात्रियों की जान जोखिम में डाली जाती रहेगी? दिन के समय पक्षियों की भारी गतिविधियां, और रात में गाड़ियों की हेडलाइट्स या डीजे लाइट्स पायलट्स की विजिबिलिटी को प्रभावित करती हैं। कई बार पायलट्स की सूझबूझ से संभावित हादसे टाले गए हैं, लेकिन हमेशा किस्मत भरोसे नहीं रहा जा सकता।
पटना एयरपोर्ट पर हर दिन हजारों की संख्या में यात्री करते हैं यात्रा
पटना एयरपोर्ट (Patna Airport) बिहार का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। हर दिन यहां 30 से 34 फ्लाइट्स का संचालन होता है, जिनसे 8,000 से 10,000 यात्री सफर करते हैं। ऐसे में सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही हजारों जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है।
अब जरूरी है ठोस फैसला
देशभर में हो रही विमान दुर्घटनाओं ने ये साफ कर दिया है कि अब वक्त आ गया है जब पटना जैसे संवेदनशील एयरपोर्ट्स (Patna Airport) की सुरक्षा व्यवस्था को आधुनिक तकनीक और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से मजबूत किया जाए। पटना एयरपोर्ट देश के उन गिने-चुने एयरपोर्ट्स में से है जहां रनवे के दोनों तरफ घनी आबादी, रेलवे लाइन, और ऊंचे बिजली के तार मौजूद हैं। ऐसे में एक छोटी सी चूक भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
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