Ritlal Yadav: दानापुर से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक रीतलाल यादव को पटना के बेऊर जेल से स्थानांतरित कर भागलपुर जेल भेज दिया गया है। यह कदम रंगदारी और धमकी के एक गंभीर मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद जेल प्रशासन द्वारा उठाया गया है। अधिकारियों के अनुसार, यह स्थानांतरण सुरक्षा कारणों और प्रभाव-नियंत्रण रणनीति का हिस्सा है।
रीतलाल यादव पर आरोप है कि उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक बिल्डर से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी और जान से मारने की धमकी दी। शिकायत खगौल थाने में दर्ज की गई थी, जिसके बाद पटना पुलिस ने 11 अप्रैल को 11 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान 10.5 लाख नकद, 77 लाख रुपये के ब्लैंक चेक, पेन ड्राइव और जमीन से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए।
17 अप्रैल को कोर्ट में आत्मसमर्पण, फिर न्यायिक हिरासत
रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) ने 17 अप्रैल को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल भेजा गया। बेऊर जेल में उनके पूर्व प्रभाव को देखते हुए प्रशासन ने उन्हें भागलपुर जेल स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार, यह फैसला इसलिए भी लिया गया क्योंकि पूर्व में उन पर जेल से रंगदारी रैकेट चलाने के आरोप लगे थे।
विवाद और सियासी बयानबाज़ी
रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) के स्थानांतरण पर सियासी घमासान तेज हो गया है। RJD समर्थक इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं। विधायक की पत्नी रिंकू देवी ने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि यह फैसला किसी के दबाव में लिया गया और इसे “प्राकृतिक न्याय के खिलाफ” बताया। वहीं, विधायक रीतलाल ने आत्मसमर्पण के समय दावा किया था कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है और उनके विरोधियों को अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कोर्ट से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी।
विपक्ष की आलोचना पर सत्तारूढ़ NDA और खासकर बीजेपी ने जवाबी हमला करते हुए इसे कानून-व्यवस्था की जीत बताया। बीजेपी ने हाल ही में एक पोस्टर जारी कर रीतलाल (Ritlal Yadav) समेत तीन विधायकों को “फरार” बताया था, जिसके बाद रीतलाल ने आत्मसमर्पण किया।
आपराधिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक यात्रा
रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) पर अब तक 33 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, जबरन वसूली, मनी लॉन्ड्रिंग, और जमीन कब्जा शामिल है। वर्ष 2003 में बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के आरोप में नामजद रहे रीतलाल को मई 2024 में कोर्ट ने बरी कर दिया था। राजनीति में उनकी पकड़ भी कम नहीं रही है। 2016 में जेल में रहते हुए वे निर्दलीय MLC बने और 2020 में RJD के टिकट पर दानापुर से विधायक चुने गए। लालू यादव के करीबी माने जाने वाले रीतलाल को क्षेत्र में प्रभावशाली नेता माना जाता है।
जांच की दिशा और संभावनाएं
इस मामले में IPC की धारा 384 (जबरन वसूली), 506 (धमकी) समेत कई धाराओं में केस दर्ज है। पुलिस के पास कथित रूप से ठोस सबूत हैं, और आयकर विभाग भी आर्थिक लेन-देन की जांच में शामिल है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी जारी है। विधायक (Ritlal Yadav) के वकील ने आरोपों को “झूठा और साजिशन” बताया है और जल्द ही जमानत याचिका दायर करने की बात कही है। हालांकि, भागलपुर जेल के उच्च सुरक्षा माहौल में यह कानूनी लड़ाई आसान नहीं मानी जा रही है।
कानून और सियासत की जटिल लड़ाई
रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) का जेल स्थानांतरण केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि बिहार की सियासत और कानून व्यवस्था के बीच गहराते तनाव का प्रतीक बन गया है। जहां प्रशासन इसे निष्पक्ष कार्रवाई बता रहा है, वहीं समर्थकों के लिए यह एक राजनीतिक दमन का उदाहरण है। अब सवाल यह है: क्या रीतलाल यादव इस संकट से उबर पाएंगे या यह उनकी राजनीतिक पारी के लिए बड़ा झटका साबित होगा? जवाब आने वाले दिनों में न्यायिक प्रक्रिया और राजनीतिक घटनाक्रम तय करेंगे।
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