Rohini Acharya: करारी हार के बाद RJD में बिखराव, रोहिणी आचार्य ने पार्टी और परिवार छोड़ा, तेजस्वी पर गंभीर आरोप

On: Sunday, November 16, 2025 12:04 PM
Rohini Acharya

Rohini Acharya: बिहार की राजनीति में इन दिनों बड़ा तूफान देखने को मिल रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) गहरे संकट के दौर से गुजर रही है। कभी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी रही RJD इस बार सिर्फ 25 सीटों पर सिमटकर रह गई। भारी जनादेश के नुकसान के बाद अब पार्टी के भीतर ही नहीं, बल्कि लालू परिवार के अंदर भी खींचतान तेज हो गई है।

Rohini Acharya: RJD की करारी हार के बाद बड़ा संकट

चुनाव हार के बाद से पार्टी में कई वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी सामने आ चुकी है। लेकिन सबसे बड़ा झटका पार्टी को तब लगा जब लालू यादव की बेटी और किडनी डोनर रोहिणी आचार्य ने न केवल पार्टी, बल्कि परिवार से भी दूरी बना ली। यह कदम लालू परिवार के भीतर गंभीर मतभेद को उजागर करता है।

रोहिणी आचार्य का सनसनीखेज आरोप

रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) ने अपने पोस्ट में खुलकर तेजस्वी यादव, संजय और रमीज पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा कि उन्हें परिवार में अपमान का सामना करना पड़ा और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई गई। उनके बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है।

रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) ने कहा “कल एक बेटी, एक बहन, एक शादीशुदा महिला, एक माँ को जलील किया गया। गंदी गालियाँ दी गईं, मारने के लिए चप्पल उठाया गया। मेरे आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया… इस वजह से मुझे बेइज्जती झेलनी पड़ी। कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए माँ-बाप और बहनों को छोड़ आई। मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया… मुझे अनाथ बना दिया गया।”

इस दर्दभरे पोस्ट ने सभी को हैरान कर दिया है और RJD की अंदरूनी राजनीति पर कई सवाल उठा दिए हैं।

परिवारिक विवाद का राजनीतिक असर

रोहिणी के इस फैसले से RJD की छवि को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। जहां एक ओर पार्टी पहले से चुनावी हार से उबरने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर परिवारिक विवाद ने संकट और गहरा कर दिया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रोहिणी (Rohini Acharya) का ये कदम RJD में बड़े बिखराव का संकेत है। यह भी संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी नेता पार्टी से दूरी बना सकते हैं। रोहिणी की नाराज़गी केवल व्यक्तिगत  नहीं दिखती, बल्कि वह संगठन में बढ़ती खींचतान और नेतृत्व संघर्ष की ओर भी इशारा करती है।

अब सबकी निगाहें लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पर हैं कि वे इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं। सवाल यह है कि क्या परिवार में सुलह होगी या यह विवाद RJD की राजनीति को और कमजोर करेगा?

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