Shakeel Ahmad: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) के दूसरे और अंतिम चरण का मतदान संपन्न होते ही कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद (Shakeel Ahmad) ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा है।यह फैसला उन्होंने मतदान समाप्त होते ही लिया, जिससे पार्टी में अंदरूनी हलचल तेज हो गई है।
“मतदान से पहले इस्तीफा नहीं देना चाहता था” – Shakeel Ahmad
अपने इस्तीफा पत्र में डॉ. शकील अहमद ने लिखा है कि वे चुनाव प्रक्रिया पूरी होने से पहले इस्तीफा नहीं देना चाहते थे, ताकि इससे पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न हो। उन्होंने कहा “मैं नहीं चाहता था कि मेरे फैसले से मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाए या कांग्रेस को पाँच वोट का भी नुकसान हो। इसलिए मैंने मतदान के बाद ही यह निर्णय लिया।” उनके इस कदम को राजनीतिक मर्यादा का उदाहरण माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने पार्टी छोड़ने के बावजूद चुनाव प्रक्रिया के दौरान संगठन को प्रभावित नहीं किया।
तीन पीढ़ियों का कांग्रेस से जुड़ाव
डॉ. शकील अहमद ने अपने पत्र में अपने परिवार की कांग्रेस के साथ पुरानी निष्ठा का ज़िक्र भी किया। उन्होंने बताया कि उनके दादा स्वर्गीय अहमद गफूर 1937 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। उनके पिता शकूर अहमद ने 1952 से 1977 के बीच पाँच बार विधायक रहते हुए कई अहम पद संभाले। स्वयं शकील अहमद भी 1985 के बाद पाँच बार विधायक और सांसद रहे तथा कांग्रेस की कई सरकारों में मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने लिखा “कांग्रेस केवल पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार की विरासत रही है।”
कांग्रेस की नीतियों पर अब भी विश्वास है
अपने इस्तीफा पत्र में डॉ. शकील अहमद (Shakeel Ahmad) ने साफ किया कि उनका कांग्रेस छोड़ने का मतलब किसी दूसरी पार्टी में शामिल होना नहीं है। उन्होंने लिखा “मेरा किसी अन्य दल में जाने का कोई इरादा नहीं है। मैं जीवन भर कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों का समर्थक रहूंगा। मेरे जीवन का अंतिम वोट भी कांग्रेस के पक्ष में ही पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि उनका मतभेद पार्टी की विचारधारा से नहीं, बल्कि कुछ वर्तमान नेताओं से है, जिनके निर्णयों से वे असहमत हैं।
व्यक्तिगत मतभेदों का हवाला
डॉ. अहमद (Shakeel Ahmad) ने यह भी स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा “मेरा विरोध कांग्रेस से नहीं, बल्कि कुछ व्यक्तियों से है जो आज संगठन पर हावी हैं।” उन्होंने अनुरोध किया कि इस पत्र को उनकी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा मान लिया जाए। उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि वे संगठन के सिद्धांतों के प्रति अभी भी भावनात्मक रूप से जुड़े हैं।
कांग्रेस के लिए बड़ा राजनीतिक झटका
बिहार में मतदान समाप्त होते ही यह इस्तीफा कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से एक बड़ा झटका माना जा रहा है। शकील अहमद (Shakeel Ahmad) जैसे अनुभवी नेता के जाने से न केवल कांग्रेस की साख को झटका लगा है, बल्कि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे पर भी असर पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफा चुनाव नतीजों से पहले पार्टी के भीतर असंतोष का संकेत है। हालांकि शकील अहमद (Shakeel Ahmad) ने उम्मीद जताई कि “कांग्रेस की सीटें इस बार बढ़ेंगी और गठबंधन की सरकार बनेगी।” लेकिन उनके अचानक फैसले ने बिहार कांग्रेस की सियासत में हलचल मचा दी है।


कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के प्रदेश नेताओं ने शकील अहमद (Shakeel Ahmad) के इस्तीफे पर चुप्पी साध ली है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी जल्द ही आधिकारिक बयान जारी करेगी। वहीं कार्यकर्ताओं के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि क्या शकील अहमद किसी नई राजनीतिक पहल की तैयारी में हैं।
बिहार की सियासत में नया मोड़
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच इस इस्तीफे ने कांग्रेस की रणनीति पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर पार्टी अपने प्रदर्शन को लेकर आशावादी है, वहीं अंदरूनी मतभेदों ने स्थिति को जटिल बना दिया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह इस्तीफा आने वाले दिनों में बिहार की सियासी दिशा को प्रभावित कर सकता है।
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