Vaibhav Suryavanshi: समस्तीपुर, बिहार के 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने अपनी असाधारण प्रतिभा से भारतीय क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। महज 10 साल की उम्र में जब बच्चे खेल-कूद में व्यस्त होते हैं, तब वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे के क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए अपनी पुश्तैनी खेती की जमीन तक बेच दी। एक पिता का यह त्याग आज रंग ला चुका है – और वैभव एक उभरते क्रिकेट स्टार के रूप में सामने आए हैं।
वैभव की क्रिकेट यात्रा
वैभव का क्रिकेट से प्रेम महज 3 साल की उम्र में शुरू हो गया था। 5 साल की उम्र से उनके पिता उन्हें नियमित रूप से नेट प्रैक्टिस के लिए ले जाने लगे। समस्तीपुर और पटना की क्रिकेट अकादमियों में कोच मनीष ओझा के मार्गदर्शन में उन्होंने (Vaibhav Suryavanshi) अपने खेल को तराशा। मात्र 8 साल की उम्र में उन्होंने जिला अंडर-16 ट्रायल्स में बेहतरीन प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।
संघर्ष और सफलता की कहानी
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन संजीव सूर्यवंशी ने कभी वैभव (Vaibhav Suryavanshi) के सपनों को रुकने नहीं दिया। उन्होंने बेटे की ट्रेनिंग, डाइट और कोचिंग पर बिना किसी झिझक के निवेश किया। वैभव की मां ने उनके खानपान और पोषण का पूरा ध्यान रखा, ताकि वह रोजाना 600 गेंदों का अभ्यास कर सकें।
रिकॉर्ड्स और ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
आईपीएल 2025 मेगा ऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स ने वैभव को ₹1.10 करोड़ में खरीदा, जिससे वह (Vaibhav Suryavanshi) आईपीएल के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। अपने आईपीएल डेब्यू में पहली ही गेंद पर 105 मीटर का छक्का जड़कर सबको चौंका दिया। गुजरात टाइटंस के खिलाफ सिर्फ 35 गेंदों में शतक (7 चौके, 11 छक्के) लगाकर टी20 क्रिकेट में सबसे कम उम्र में सेंचुरी बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया।
पिता का त्याग, बेटे का सम्मान
संजीव सूर्यवंशी, जो खुद एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन बिहार क्रिकेट संघ की मान्यता न होने के कारण उनका सपना अधूरा रह गया। उन्होंने वह सपना अपने बेटे के माध्यम से पूरा किया। संजीव ने एक साक्षात्कार में भावुक होकर कहा, “अब वह सिर्फ मेरा बेटा नहीं, बल्कि पूरे बिहार का बेटा है।”
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