Waqf Bill: वक्फ संशोधन बिल पे सरकार की मोहर लग चुकी है। जिसकी वजह से जदयू में हड़कंप मच गया है। वक्फ संशोधन बिल (Waqf Bill)को लेकर जदयू के द्वारा केंद्र सरकार को समर्थन किया गया था। जिसकी वजह से जदयू से कई मुस्लिम नेता इस्तीफा दे रहे हैं। इस्तीफा देने के सिलसिले की शुरुआत जदयू नेता डॉक्टर मोहम्मद कासिम अंसारी के द्वारा पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने से शुरू हुआ। इसके बाद नमाज मलिक के द्वारा भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया गया है। वहीं अब तीन और मुस्लिम नेताओं ने जदयू से इस्तीफा दिया है।
वही आज जदयू के प्रदेश महासचिव अल्पसंख्यक का मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी अलीग ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनके द्वारा प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को पत्र लिखा गया जिसमें कहा कि “मैं जनता दल यूनाइटेड जदयू का एक निष्ठावान कार्यकर्ता हूं और वर्षों तक पार्टी की विचारधारा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभाते आया हूं। मुझे विश्वास था कि जदयू सदैव धर्मनिरपेक्षता सामाजिक न्याय और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेगी।
लेकिन हाल ही में वक्फ बिल (Waqf Bill) संशोधन अधिनियम 2024 के प्रति आपकी पार्टी के समर्थन ने मेरे विश्वास को गहरा आघात पहुंचा है। लोकसभा में ललन सिंह द्वारा इस विधेयक के समर्थन में दिए गए बयान अत्यंत निराशाजनक और दुखद है। यह विधेयक भारतीय मुसलमान के संवैधानिक अधिकारों पर कुठाराधात करता है। और समूचे मुस्लिम समाज को हसीए पर धकेलना का प्रयास प्रतीत होता है।”
जादू के अल्पसंख्यक प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया गया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि “हम जैसे लाखों करोड़ों भारतीय मुसलमान का अटूट विश्वास था कि आप विशुद्ध रूप से सेक्युलर विचारधारा के ध्वजवाहक हैं। लेकिन अब यह यकीन टूट गया है। वह बिल संशोधन (Waqf Bill) अधिनियम 2024 के तालुक से जदयू के स्टैंड से हम जैसे लाखों करोड़ों समर्पित भारतीय मुसलमान एवं कार्यकर्ताओं को गहरा आघात लगा है। हम लोग लोकसभा में ललन सिंह ने जिस तेवर और अंदाज से अपना वक्तव्य दिया और इस बिल का समर्थन किया उससे काफी मर्माहत हैं।वक्फ बिल हम भारतीय मुसलमान के विरुद्ध है।
हम किसी भी सूरत में इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यह बिल संविधान की कई मौलिक अधिकारों का हनन करता है। इस बिल के माध्यम से भारतीय मुसलमान को जलील व रुसवा किया जा रहा है। साथ ही साथ यह बिल (Waqf Bill) पसमांदा विरोधी है। जिसका एहसास ना आपको है और ना आपकी पार्टी को है। मुझे अफसोस हो रहा है कि अपनी जिंदगी की कई वर्ष पार्टी को दिया। अतः मैं पार्टी के प्राथमिक सदस्य एवं अन्य जिम्मेदारियों से स्वेच्छा से त्यागपत्र दे रहा हूॅं।
साथ ही जदयू नेता दिलशान रियान ने भी पत्र लिखा जिसमें कहा कि “हम जैसे लाखों करोड़ों भारतीय मुसलमान का अटूट विश्वास था कि आप विशुद्ध रूप से सेक्युलर विचारधारा के ध्वजवाहक हैं। लेकिन अब यह यकीन टूट गया है। वह बिल संशोधन (Waqf Bill) अधिनियम 2024 के तअलुक से जदयू के स्टैंड से हम जैसे लाखों करोड़ों समर्पित भारतीय मुसलमान एवं कार्यकर्ताओं को गहरा आघात लगा है। अतः मैं पार्टी के प्राथमिक सदस्य से स्वेच्छा से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
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