दुनिया में कई ऐसे चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर है, जिससे आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है. इसमें भारत के तिरुपति बालाजी  का  भी नाम शामिल है.

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित तिरुपति बालाजी  का मंदिर पूरी दुनिया भर में लोकप्रिय है, जहां दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

इस मंदिर का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. यहां पर वह अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं.

कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से विष्णु भगवान की प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी मुरादे पूरी होती है और मन्नत पूरी होने के बाद भक्त अपनी श्रद्धा से यहां अपने बाल दान  करते हैं.

आज तक यह पता नहीं चल पाया कि  मूर्ति पर जो बाल लगे हैं, वह कभी उलझते क्यों नहीं है, जबकि मूर्ति पर लगे बाल असली है. यह भ्रम है या चमत्कार आज तक पता नहीं चल पाया है.

आप अगर मंदिर में विष्णु भगवान की मूर्ति देखेंगे तो स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनने की परंपरा है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान के रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित है.

भगवान की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान स्वयं यहां विराजमान है. कभी-कभी मूर्ति में पसीना भी आता है. यही वजह है कि मंदिर में तापमान को काफी कम रखा जाता है.

हर गुरुवार को भगवान वेंकटेश्वर को चंदन का लेप लगाया जाता है, लेकिन जब इस लेप को हटाया जाता है, तो उनके हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई  देती है.

मंदिर में एक ऐसा दिया हमेशा जलता है, जिसमें कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता है. आज तक यह नहीं पता चल पाया है कि इस दीपक को सबसे पहले कब और किसने जलाया था, यह मैच एक  रहस्य बना हुआ है.