हर साल बकरीद (Eid al-Adha) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, जहां इस मौके पर इस्लाम धर्म के लोग नए कपड़े पहन कर नमाज पढ़ते हैं और उसके बाद कुर्बानी अदा . . करते हैं.
ईद उल अजहा (Eid al-Adha ) को बकरीद, बकरा ईद अथवा ईद उल बकरा के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार रमजान का महीना खत्म होने . . के 70 दिन बाद आता है.
इस्लाम में कुर्बानी का अपना बहुत बड़ा महत्व है. कुरान के अनुसार कहा जाता है कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही और उन्होंने हजरत को हुक्म दिया कि वह अपनी सबसे प्यारी . . चीज को कुर्बान करें.
उस वक्त वह अपने सबसे प्यारे बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए जो 80 साल की उम्र में नसीब हुई थी और अल्लाह का नाम लेते हुए बेटे के गले पर छूड़ी चला दी.
अल्लाह का करिश्मा था कि आंख खोलते ही उन्होंने देखा कि उनका बेटा जिंदा खड़ा है और उसकी जगह बकरे जैसी शक्ल का जानवर कटा हुआ लेटा है. इसके बाद अल्लाह की राह में कुर्बानी देने की शुरुआत हुई.
इस खास मौके पर लोग पारंपरिक कपड़े पहन कर नमाज अदा करते हैं, मस्जिद जाते हैं और फिर कुर्बानी की रस्में अदा करने के बाद अल्लाह के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं.
इस दिन लोग अपने प्रियजनों और रिश्तेदारों को शुभकामनाएं भी देते हैं. साथ ही साथ जिनकी क्षमता होती है वह जरूरतमंद को भोजन और नए कपड़े भी . . दान करते हैं.