बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पर्सनल लाइफ के बारे में कम ही ऐसे लोग होंगे, जो जानते होंगे क्योंकि वह ज्यादातर अपनी राजनीति की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने अपनी राजनीति और परिवार को हमेशा एक दूसरे से दूर रखा. शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार ने कभी घर परिवार या अपने किसी रिश्तेदार को राजनीति में आने का न्योता नहीं दिया. शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार को लालू यादव पर तंज कसने का मौका मिल जाता है तभी तो वह कई बार यह कह चुके हैं कि लालू यादव ने अपनी बेटी और बेटे को राजनीति में लाकर किस तरह से परिवारवाद बढ़ाया है.
जबकि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने ऐसा कुछ नहीं किया. उनके पास एक बहुत बड़ी लंबी राजनीति का अनुभव है लेकिन कभी भी उन्होंने इसका लाभ उठाने की कोशिश नहीं की लेकिन हमेशा उनके बेटे की चर्चा जरूर चलती रहती है जो एक बार फिर से तेज हो चुकी है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पुत्र निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा वैसे तो पहले ही से चल रही थी, लेकिन पिछले दो दिनों में जदयू के दो नेताओं के निशांत कुमार को राजनीति में लाने की मांग और भी ज्यादा तेज हो चुकी है और एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
आपको बता दे कि जल्द ही इसी महीने में जनता दल यूनाइटेड की कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है. ऐसे में यह उम्मीद है कि इस बैठक में पार्टी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बेटे को राजनीति में लाने की मांग उठा सकती है. साथ ही साथ यह भी मुद्दा होगा कि उन्हें पार्टी का कोई पद दिया जाए. जाहिर है कि कार्यकर्ताओं के दबाव में नीतीश कुमार को अपने पुत्र निशांत कुमार को सक्रिय राजनीति में लाना ही पड़ेगा क्योंकि पार्टी में अंदरूनी तौर पर तो यह चर्चा पहले ही से चल रही है.
ऐसे में आज नहीं तो कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पुत्र निशांत राजनीति में आएंगे, पर केंद्र में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद से अचानक ये हवा बहुत तेज फैलने लगी कि नीतीश कुमार अपने पुत्र को राजनीति में ला सकते हैं. ऐसा क्या हुआ ये तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को ही पता होगा, पर जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ताओं को भी ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री को अपने पुत्र को राजनीति में लाना चाहिए, जिसकी मांग अब खुलकर शुरू हो चुकी है.
यह तो स्पष्ट है कि अगर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का पुत्र राजनीती में आता है तो उन्हें अपने पिता की राजनीती विरासत सौपी जाएगी. वहीं कुछ बातों से तो ऐसा लग रहा है कि अंदर ही अंदर सब कुछ तय हो चुका है. बस घोषणा होना बाकी है. जदयू के नेताओं ने तो यह भी कहना शुरू कर दिया है कि निशांत जिस तरह से शांत और ईमानदार है, इसी तरह के चेहरे की जरूरत उनकी पार्टी को है.
इससे पहले पार्टी के राज्य महासचिव राणा रणधीर सिंह चौहान ने अपने फेसबुक पेज पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से अपील की थी कि वह अपने पुत्र निशांत कुमार को अपने राजनीतिक उत्तर अधिकारी के रूप में पार्टी मे लाए.
उसके बाद कई नेताओं द्वारा इस तरह की मांग की जा रही है. अब अचानक आप सोच रहे होंगे कि इस तरह का फैसला क्यों लिया जा रहा है तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जिस तरह से बीमार दिखने लगे हैं, उससे पार्टी और नीतीश कुमार के शुभचिंतकों को परेशानी होने लगी है. नीतीश कुमार केवल कमजोर ही नहीं लग रहे बल्कि कही हुई बातें भी भूल जाते हैं. यही वजह है कि अब पार्टी को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, जो उनके बेटे के हाथ में जा सकती है.
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