Sharda Sinha: बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा आज भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन वह अपने आवाज और अपनी प्यारी गीतो से हमेशा हर किसी के दिल में अमर रहेंगी. आज भी यह विश्वास कर पाना बहुत मुश्किल है कि वह अब हमारे बीच में नही है. आपको बता दे कि उनके जाने के बाद पूरे बिहार में मातम पसरा हुआ है, जहां पर वह पढ़ने जाती थी जहां उनका जन्म हुआ और जहां उनका परिवार रहता है.
इस वक्त लोग वहां पर काफी मायूस है. इतना ही नहीं शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के ससुराल में इस बार 350 से भी ज्यादा घरों में छठ नहीं मनाई जा रही है और 100 घरों में तो चूल्हा भी नहीं जल रहा है.
Sharda Sinha: कुछ दिन गांव में रहने का था मन
आपको बता दे कि शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का जन्म 1952 में हुआ जिनका बचपन सुपौल के हुलास गांव में गुजरा. यही के विद्यालय में वह पढ़ने जाती थी और आसपास खेलती भी थी. वही उनका ससुराल बेगूसराय पड़ता है. आखरी बार 31 मार्च 2024 को अपने भतीजे की शादी में शारदा सिन्हा सुपौल के हुलास गांव में पहुंची थी. अपनी गायकी के साथ-साथ शारदा सिन्हा पढ़ाई में भी काफी तेज थी लेकिन बचपन से ही संगीत से उनका एक अलग ही लगाव था. इस वक्त शारदा सिन्हा के जाने से उनके ससुराल बेगूसराय के सिहमा गांव में हर तरफ मातम पसरा हुआ है.
ये थी आखिरी इच्छा
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के परिवार वालों द्वारा ये बताया गया है कि उनकी आखिरी इच्छा ये थी कि जहां पर उनके पति का अंतिम संस्कार किया गया था, वहीं पर उनका भी अंतिम संस्कार हो और उनके इस आखिरी इच्छा को पूरा करते हुए परिवार वालों ने पटना में गुलबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया. शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना पहुंचा तो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ लग गई जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी गई.
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