Lalu Yadav: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे हैं। सिवान की एसीजेएम-1, एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को उनके खिलाफ कुर्की-जब्ती की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। मामला साल 2011 का है, जब लालू यादव रेल मंत्री के साथ-साथ राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे।
आदेश दर आदेश, लेकिन नहीं हुए पेश
कोर्ट ने पहले समन जारी किया, फिर वारंट, लेकिन लालू यादव (Lalu Yadav) की तरफ से पेशी नहीं हुई। अब अदालत ने इश्तेहार जारी करने का आदेश दिया है, जो उनके पैतृक गांव फुलवरिया में चिपकाया जाएगा। अगर इसके बाद भी वे पेश नहीं होते, तो कुर्की की कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
साल 2011 में सिवान के दरौंदा में एक उपचुनाव के दौरान लालू यादव (Lalu Yadav) ने अपने उम्मीदवार परमेश्वर सिंह के समर्थन में एक जनसभा की थी। उस समय वहां धारा 144 लागू थी और लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध था। इसके बावजूद उन्होंने न केवल सभा को संबोधित किया बल्कि धड़ल्ले से लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल किया। इस घटना को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ।
30 मई को अगली सुनवाई
लालू यादव की लगातार अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने अब सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। मामले की अगली सुनवाई 30 मई को होगी। इस बीच अगर वे पेश नहीं होते, तो उनके खिलाफ कुर्की की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली में हैं लालू
फिलहाल लालू प्रसाद (Lalu Yadav) यादव दिल्ली स्थित एम्स से इलाज कराकर बाहर आए हैं और अपनी बेटी मीसा भारती के आवास पर रह रहे हैं। हालांकि, अदालत में पेश न होने को लेकर अब उन्हें गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
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