DK Boss: बिहार में चुनावी साल आते ही सियासी पारा चढ़ चुका है। नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं और बयानबाज़ी अपने चरम पर है। इस बार सुर्खियों में हैं आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जिन्होंने नीतीश कुमार सरकार पर ऐसा आरोप लगाया है जिसने पूरे राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। तेजस्वी का कहना है कि बिहार की असली सत्ता मुख्यमंत्री के हाथों में नहीं है, बल्कि किसी ‘डीके बॉस’ नाम के व्यक्ति के पास है – जिसे उन्होंने “सुपर सीएम” तक कह डाला।
कौन हैं ये ‘डीके बॉस’?
तेजस्वी यादव ने सीधे-सीधे नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा एक प्रभावशाली आईएएस अधिकारी की ओर माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह अधिकारी कोई और नहीं बल्कि दीपक कुमार (DK Boss) हो सकते हैं – जो रिटायर्ड आईएएस हैं और वर्षों तक नीतीश कुमार के करीबी रहे हैं।
दीपक कुमार ने बिहार सरकार में कई अहम पदों पर काम किया है और नीति-निर्माण में उनकी भूमिका हमेशा चर्चित रही है। उन्हें प्रशासनिक फैसलों में गहरी पकड़ रखने वाला अधिकारी माना जाता है। हालांकि, अभी तक तेजस्वी यादव के आरोपों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस बयान ने एक बार फिर ‘बैकडोर पावर सिस्टम’ पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तेजस्वी यादव का बड़ा आरोप: ‘डीके टैक्स’ और सत्ता का दुरुपयोग
तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि बिहार में न डीजीपी की चलती है, न मुख्य सचिव की, और न ही खुद मुख्यमंत्री की। उनका आरोप है कि सरकार की असली कमान ‘डीके टैक्स’ वसूलने वाले डीके बॉस (DK Boss) के हाथों में है। तेजस्वी ने कहा कि उनके पास भ्रष्टाचार और टैक्स वसूली के कई सबूत हैं, जिन्हें वो जल्द जनता के सामने रखेंगे।
इस बयान के बाद सियासत में उबाल आ गया है, और जनता के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वाकई प्रशासन में कुछ अधिकारी (DK Boss) “सुपर सीएम” की भूमिका निभा रहे हैं?
‘जमाई आयोग’ और परिवारवाद के आरोप
तेजस्वी यादव ने एक और नया शब्द गढ़ा – ‘जमाई आयोग’। उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया कि रामविलास पासवान, जीतन राम मांझी और अशोक चौधरी जैसे नेताओं के दामादों को आयोगों में नियुक्त किया गया है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी दावा किया कि डीके बॉस (DK Boss) की पत्नी को भी एक महत्वपूर्ण पद दिया गया है। यह बयान परिवारवाद और सत्ता के निजीकरण को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
नीतीश कुमार के ‘चहेते अफसरों’ की फेहरिस्त
बिहार की राजनीति में नौकरशाही की भूमिका कोई नई बात नहीं है। नीतीश कुमार के साथ काम करने वाले अफसरों की फेहरिस्त समय-समय पर बदलती रही है। कभी आरसीपी सिंह, व्यास जी, आरके सिंह और अंजनी कुमार सिंह जैसे अफसर माने जाते थे नीतीश के सबसे करीबी।
मौजूदा दौर में जो नाम चर्चा में रहते हैं, उनमें शामिल हैं:
क्रम | आईएएस अधिकारी का नाम | विशेषता और भूमिका |
1 | दीपक कुमार (रिटायर्ड) | रणनीतिक सलाहकार, नीतीश के करीबी |
2 | प्रत्यय अमृत | ऊर्जा, सड़क व स्वास्थ्य क्षेत्र में सक्रिय |
3 | चंचल कुमार | विशेष परियोजनाओं में भूमिका |
4 | संजीव हंस | स्वास्थ्य विभाग में कुशल प्रबंधन |
5 | कुमार रवि | जिला प्रशासन में सक्रिय |
6 | चैतन्य प्रसाद | राजस्व व शहरी नियोजन में योगदान |
7 | आनंद किशोर | शिक्षा और बोर्ड सुधार में चर्चित |
8 | अनुपम कुमार | सूचना व जनसंपर्क में मुखर |
9 | एस सिद्धार्थ | वित्तीय प्रबंधन में अनुभवी |
इन अधिकारियों की कार्यशैली और मुख्यमंत्री के साथ उनकी नजदीकी को देखते हुए, कई बार यह सवाल उठता रहा है कि क्या वाकई कुछ अफसर (DK Boss) सरकार से ऊपर हो चुके हैं?
जनता क्या सोच रही है?
तेजस्वी यादव के आरोपों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है, क्या बिहार में लोकतांत्रिक सत्ता वाकई चुनी हुई सरकार के पास है, या फिर कुछ ताकतवर अफसर (DK Boss) पर्दे के पीछे से इसे चला रहे हैं?
जनता के मन में यह सवाल भी उठने लगा है कि अगर आरोपों में दम है, तो कार्रवाई क्यों नहीं होती? और अगर आरोप बेबुनियाद हैं, तो सरकार की तरफ से स्पष्टता क्यों नहीं आती?
चुनावी साल में बयानबाज़ी या गंभीर संकेत?
तेजस्वी यादव के ‘डीके बॉस’ (DK Boss) और ‘जमाई आयोग’ वाले बयान सिर्फ राजनीति की गर्मी बढ़ाने वाले हैं या फिर वाकई बिहार प्रशासन में सत्ता के केंद्रीकरण का संकेत देते हैं – यह आने वाले समय में साफ होगा।
फिलहाल इतना तय है कि बिहार की सियासत में यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बन चुका है, और जनता इस बहस को गंभीरता से सुन रही है।
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