Ritlal Yadav: बिहार की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। दानापुर से राजद विधायक रीतलाल यादव पर लगे नए आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस बार मामला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सीधा आपराधिक प्रकृति का है। पटना के खगौल थाना क्षेत्र में एक निर्माणाधीन चहारदीवारी को कथित रूप से जबरन गिरवाने और कामगारों को धमकाने के मामले में विधायक (Ritlal Yadav) और उनके चार सहयोगियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। शिकायत बिल्डर राकेश रंजन द्वारा दर्ज कराई गई, जिसके बाद मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है।
जेल से भी जारी है ‘सत्ता का असर’?
गौरतलब है कि रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) इस समय भागलपुर जेल में बंद हैं। इसके बावजूद आरोप है कि पूरी घटना उनके इशारे पर अंजाम दी गई। शिकायत के अनुसार, निर्माण स्थल पर विधायक के समर्थकों ने न केवल काम में बाधा डाली, बल्कि चहारदीवारी को तोड़ दिया और मजदूरों को धमकी भी दी। क्या यह दर्शाता है कि कुछ नेताओं का असर जेल की चारदीवारी के भीतर से भी बना रहता है? क्या कानून का डर खत्म हो चुका है?
पुलिस का ऐक्शन मोड और पिछला इतिहास
इस मामले में पटना पुलिस की तत्परता सराहनीय रही। सिटी एसपी पश्चिमी भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में रविवार देर रात विधायक (Ritlal Yadav) के कोथवां स्थित आवास और अन्य आरोपियों के घरों पर छापेमारी की गई। हालांकि, सभी आरोपी फरार पाए गए। अब पुलिस गिरफ्तारी वारंट, इश्तेहार और कुर्की-जब्ती की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। यह पहली बार नहीं है जब रीतलाल यादव पर गंभीर आरोप लगे हैं। इससे पहले भी उन पर रंगदारी, धमकी, और अन्य आपराधिक मामलों में केस दर्ज हो चुके हैं। खगौल थाना क्षेत्र ही उनके विवादित इतिहास का सबसे बड़ा गवाह रहा है।
पत्नी का बचाव और सच्चाई की तलाश
विधायक की पत्नी ने इस पूरे प्रकरण को एक राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि: “चहारदीवारी अपने आप गिर गई, इसमें कोई साजिश नहीं है।” हालांकि, पुलिस जांच और गवाहों की गवाही ही यह तय करेगी कि सच्चाई क्या है। अब सबकी निगाहें आगे की पुलिस कार्रवाई और पूछताछ पर टिकी हुई हैं।
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