Nitish Kumar: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बंपर जीत के बाद अब नीतीश कुमार ने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है। विभागों के बंटवारे के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा गृह मंत्रालय विभाग रहा जो लगभग 20 साल बाद भाजपा के खाते में आ गया है. हर बार गृह मंत्रालय विभाग नीतीश कुमार अपने पास रखते थे लेकिन इस बार उन्होंने सम्राट चौधरी के लिए बहुत बड़ा त्याग किया है.
दरअसल गृह मंत्री सभी प्रशासनिक और पुलिस अफसर के बॉस के रूप में काम करते हैं और सभी अधिकारी इनको रिपोर्ट करते हैं. यही वजह है कि इस बार बिहार चुनाव में जीत हासिल करने के बाद भाजपा को बहुत बड़ी चाभी हाथ लग गई है. हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए भाजपा को 20 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. इसके बाद अब भाजपा की नजर नीतीश कुमार की कुर्सी पर है.
Nitish Kumar की कुर्सी पर है भाजपा की नजर
जिस तरह से 20 साल में भाजपा ने नीतीश कुमार से गृह मंत्रालय ले लिया है, ठीक उसी तरह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद की कुर्सी भी भाजपा आने वाले कुछ सालों में हासिल कर सकती है. हालांकि भाजपा के लिए यह अभी बहुत लंबा सफर है. यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि जो सम्राट चौधरी अक्सर बिहार में योगी मॉडल की बात करते हैं अब उनके पास गृह मंत्रालय आने के बाद उनकी रणनीति क्या होती है. वाकई में बिहार में योगी मॉडल दिखता है या नहीं.
9 बार गृह मंत्रालय रखा अपने पास
नीतीश कुमार अभी तक जितने बार सीएम बने हैं, उन्होंने गृह मंत्रालय अपने पास रखा. 24 नवंबर 2005 को जब वह दूसरी बार शपथ लेने गए तो उन्होंने सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री बनाया जो वित्त मंत्री बने. उस समय भी उन्होंने गृह विभाग अपने पास रखा था. जब कुछ महीनो के लिए जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने थे तब भी गृह मंत्रालय विभाग नीतीश कुमार के पास ही था.
2020 में भाजपा ने कोशिश जरूर की थी कि गृह मंत्रालय विभाग उसके खाते में आ जाए लेकिन नीतीश कुमार ने यह साफ स्पष्ट कर दिया था कि अगर वह मुख्यमंत्री बनेंगे तो गृह विभाग उन्ही के पास रहेगा. फिर चाहे उन्होंने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा हो या फिर भाजपा के साथ, उन्होंने कभी भी गृह मंत्रालय के साथ कोई समझौता नहीं किया. यही वजह है कि इस बार उनका यह फैसला काफी ज्यादा सुर्खियों में रहा.








