Mokama Case: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां चुनावी रंजिश के बीच हुई दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे राज्य की राजनीति को हिला दिया है। जदयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह पर हत्या का केस दर्ज किया गया है। वहीं, अनंत सिंह की ओर से भी जन सुराज समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इस घटना ने मोकामा की सियासी जंग को और भी संगीन मोड़ दे दिया है।
Mokama Case: दोनों पक्षों में एफआईआर, सियासी संग्राम तेज
मोकामा के टाल क्षेत्र में गुरुवार दोपहर जदयू और जन सुराज पार्टी के समर्थकों के बीच भिड़ंत हिंसा में बदल गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, देखते ही देखते गोलियां चलीं, गाड़ियां तोड़ी गईं और अफरातफरी मच गई। इसी दौरान दुलारचंद यादव की गोली लगने से मौत हो गई।
मृतक के परिजनों ने अपने बयान में कहा कि अनंत सिंह, उनके दो भतीजे रणवीर और कर्मवीर सिंह समेत पांच लोगों ने पहले गोली चलाई और फिर गाड़ी चढ़ाकर दुलारचंद की हत्या कर दी। पुलिस ने मृतक के पोते के बयान पर अनंत सिंह समेत पांच पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच की दिशा
पटना एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि टाल इलाके के तारतर गांव के पास दोनों गुटों में झड़प हुई। पुलिस ने मौके से तीन गाड़ियां बरामद कीं, जिनके शीशे टूटे हुए थे। इन्हीं में से एक गाड़ी में दुलारचंद यादव का शव मिला। एसएसपी के अनुसार दुलारचंद यादव पहले से आपराधिक पृष्ठभूमि के थे और उनके खिलाफ हत्या व आर्म्स एक्ट के कई मुकदमे दर्ज थे। फिलहाल पूरे मामले की जांच जारी है और दोनों पक्षों के आवेदन के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
अनंत सिंह बोले “यह राजनीतिक साजिश है”
जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। उन्होंने कहा मैं चुनाव प्रचार से लौट रहा था, तभी मेरे पीछे चल रही कुछ गाड़ियों पर जन सुराज समर्थकों ने हमला कर दिया। मैं वहां मौजूद ही नहीं था। यह पूरा मामला राजद नेता सूरजभान सिंह की साजिश है। अनंत सिंह ने यह भी कहा कि चुनावी माहौल को बिगाड़ने की साजिश के तहत उनका नाम जानबूझकर घसीटा जा रहा है।
पुरानी रंजिश और टाल की राजनीति
मोकामा और बाढ़ का टाल इलाका लंबे समय से बाहुबली राजनीति और आपसी वर्चस्व की लड़ाई के लिए जाना जाता है। यह इलाका पहले भी अनंत सिंह, सूरजभान सिंह और अन्य स्थानीय नेताओं के बीच सियासी टकराव का गवाह रह चुका है। मृतक दुलारचंद यादव जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार में सक्रिय थे और इलाके में उनका प्रभाव माना जाता था। गुरुवार को खुशहालचक के पास दोनों दलों के समर्थक आमने-सामने आ गए, पहले गाली-गलौज, फिर ईंट-पत्थरबाजी और अंत में गोलियां चलने लगीं।
मोकामा में बढ़ी चौकसी, तनाव बरकरार
घटना के बाद पूरे मोकामा टाल क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। पुलिस गांव-गांव में कैंप कर रही है और संदिग्धों की तलाश जारी है। मौके पर एफएसएल टीम पहुंच चुकी है और तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। लोगों में भय और आक्रोश दोनों हैं। चुनाव से ठीक पहले हुई इस वारदात ने प्रशासन के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती बना दिया है।
लोकतंत्र की जंग या बदले की राजनीति?
मोकामा की यह घटना एक बार फिर सवाल खड़े करती है। क्या बिहार की सियासत अब भी गोलियों और बारूद की भाषा में चल रही है? जहां जनता को विकास की उम्मीद होती है, वहीं गोलियों की आवाज़ें लोकतंत्र की आवाज़ को दबा देती हैं।
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण से पहले मोकामा की यह हिंसा साबित करती है कि यहां की सियासत अब भी पुरानी रंजिशों और दबंगई के साए से बाहर नहीं निकल पाई है। अब सबकी निगाहें प्रशासन और चुनाव आयोग पर हैं कि वे इस मामले में कितनी निष्पक्ष और तेज़ कार्रवाई करते हैं।









