Danapur Firing: दानापुर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। शाहपुर थाना क्षेत्र के दाउदपुर गांव में सोमवार की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया, जब सेना के लांग रेंज फायरिंग अभ्यास के दौरान चली एक गोली खेत में काम कर रहे किसान को जा लगी। घायल किसान विजय कुमार, अपने पिता शिव दयाल प्रसाद के साथ खेत में भिंडी की तुड़ाई कर रहे थे, जब ये हादसा हुआ।
परिजनों के मुताबिक, विजय और उनके पिता रोज की तरह सुबह खेत में भिंडी तोड़ने गए थे। करीब 10 किलो भिंडी तोड़ने के बाद अचानक जोर की आवाज हुई और गोली का छर्रा विजय के दाहिने हाथ में आकर लग गया। वह दर्द से चीखते हुए जमीन पर गिर पड़े, और मौके पर मौजूद अन्य ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई।
घटना (Danapur Firing) की सूचना मिलते ही घायल विजय को दानापुर अनुमंडल अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें पटना के एलएनजेपी अस्पताल रेफर किया गया। बताया जा रहा है कि छर्रा अभी भी उनकी बांह में फंसा हुआ है और डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी है।
कहां से चली गोली? कौन जिम्मेदार?
सिटी एसपी पश्चिमी भानु प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि प्रारंभिक जांच में यह मामला (Danapur Firing) सेना के जवानों द्वारा चलाए गए फायरिंग अभ्यास का प्रतीत होता है। गोली दानापुर फायरिंग रेंज से चली थी, जो दिशा भटककर दाउदपुर गांव तक पहुंच गई। इस मामले में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया गया है और पुलिस जांच शुरू कर चुकी है। हालांकि अब तक सेना की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सवाल जो डराते हैं – क्या हम अपने ही गांव में सुरक्षित नहीं?
इस हादसे (Danapur Firing) ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या फायरिंग अभ्यास के समय आस-पास की आबादी को सूचित नहीं किया जाता?
- जब रेंज के पास घनी आबादी है, तो सुरक्षा कवच और दिशा-निर्देश क्यों नहीं हैं?
- क्या प्रशासन और सेना ने पहले कभी ऐसे हादसों से सबक लिया है?
ग्रामीणों का कहना है कि फायरिंग (Danapur Firing) की आवाजें तो कई बार आती हैं, लेकिन इस बार एक गोली सीधे इंसान को लगी, और वो भी खेत में काम कर रहे गरीब किसान को। ऐसी लापरवाही अब जानलेवा बनती जा रही है।
“खेत में जान गंवानी पड़ेगी, ऐसा कभी नहीं सोचा था” – परिजनों की आंखों में सवाल
विजय कुमार के पिता शिव दयाल प्रसाद सदमे में हैं। वह बोले –“हम तो सुबह-सुबह सिर्फ भिंडी तोड़ने गए थे, कोई लड़ाई करने नहीं। एकदम से गोली आई और विजय जमीन पर गिर पड़ा। खेत में कभी सोचा नहीं था कि गोली लगेगी।” परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है और इलाज की लागत उन्हें डरा रही है। गांव वालों ने प्रशासन से मांग की है कि घायल किसान को सरकारी खर्च पर इलाज मिले और परिवार को मुआवजा दिया जाए।
एक गोली ने गांव की शांति तोड़ दी
दानापुर की यह घटना (Danapur Firing) सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सिस्टम की चूक है। सेना का प्रशिक्षण जरूरी है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर आम नागरिकों की जान जोखिम में डालना कतई स्वीकार्य नहीं है। अब जरूरत है सख्त सुरक्षा मानकों, पूर्व सूचना प्रणाली और स्थानीय लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की।
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