इस वक्त लगातार देखा जाए तो दिल्ली (Delhi) में पानी को लेकर संकट बढ़ता जा रहा है. कई ऐसे इलाके हैं जहां के लोगों को काफी परेशानी हो रही है और अब यह मामला पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के पास चला गया है लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आम आदमी पार्टी इस मामले में अपर यमुना रिवर बोर्ड में जाए और मानवीय आधार पर अतिरिक्त पानी की मांग करें. इससे पहले हिमाचल सरकार से 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने की बात की गई थी लेकिन अब उसने भी इससे इनकार कर दिया है और बताया है कि उनके पास दिल्ली (Delhi) को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है.
लोगों को हो रही परेशानी
आप यह बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि दिल्ली (Delhi) अपने 90% से ज्यादा पेयजल आपूर्ति के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पर निर्भर है. इस आपूर्ति का लगभग 40% यमुना नदी जैसे स्रोत से आता है. केजरीवाल सरकार का कहना है कि दिल्ली में हर रोज 50 मिलियन गैलन पानी की शॉर्टेज है. पानी के सिर्फ एक से दो टैंकर पर पूरी कॉलोनी को निर्भर रहना पड़ रहा है, लेकिन कोई स्थाई उपाय नहीं निकलने के कारण इस वक्त सियासत गरमाई हुई है.
Delhi को लेकर स्पष्ट है सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कह दिया है कि आम आदमी पार्टी यमुना रिवर बोर्ड में जाकर अतिरिक्त पानी की मांग करें. राज्यो के बीच यमुना जल के बंटवारे से जुड़ा मामला जटिल है. अंतरिम आधार पर फैसला लेने के लिए कोर्ट के पास कोई तकनीकी विशेषज्ञ नहीं है. अब इस मामले पर भी सियासत शुरू हो चुकी है जहां दिल्ली सरकार ने कहा है कि जल संकट के लिए टैंकर माफिया जिम्मेदार है.
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने वीरेंद्र सचदेवा से कहा कि दिल्ली वासी आम आदमी की सरकार को जल्द से जल्द हटाए. आपको बता दे कि राष्ट्रीय राजधानी की जल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा हरियाणा से आता है और यह पानी हैदरपुर, बवाना, नांगलोई और द्वारका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को आपूर्ति किया जाता है. यमुना से 41%, अपर गंगा कैनाल से 27%, भाखड़ा स्टोरेज से 24% और ग्राउंडवाटर से 9% पानी की जरूरत पूरी होती है.