Leader Of Opposition: इस लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का दमखम खूब देखने को मिला जिस कारण उन्हें लोकसभा में विपक्ष का नेता भी चुना गया. आपको बता दे कि लीडर आँफ अपोजिशन होने के कारण राहुल गांधी को कुछ शक्तियां भी मिली है. साथ ही साथ उन्हें कई तरह की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी. आपको बता दे कि विपक्ष का नेता अध्यक्ष के बाई ओर अगली पंक्ति के सीट पर बैठता है और उन्हें औपचारिक अवसरों पर कुछ विशेष अधिकार भी प्राप्त होते हैं.
जैसी की निर्वाचित अध्यक्ष को मंच पर ले जाना और संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभी भाषण के समय अगली पंक्ति में सीट पर बैठना. हालांकि यहां तक पहुंचाने के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बहुत लंबा सफर तय करना पड़ा. वह पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं. उन्होंने वायानाड, अमेठी और अब राय बरेली के निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
Rahul Gandhi को मिलेगी ये सुविधा
नेता विपक्ष बनते ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास काफी शक्तियां होगी क्योंकि पिछले 10 वर्षों में अभी तक नेता विपक्ष का कोई चेहरा सामने नहीं आया था और अभी तक इसके लिए पद खाली था, क्योंकि भारत 10 वर्षों में लोकसभा में विपक्ष के पहले नेता को दिखेगा. यही वजह है कि सरकार की किसी भी गलत फैसले पर अब उन्हें घेरने का काम बड़े मजबूती से किया जाएगा. आपको बता दे की विपक्ष का नेता होने के नाते राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को कैबिनेट मंत्री का दर्जा, वेतन और भत्ता मिलेंगा.
उन्हें 3.3 लाख रुपए का वेतन मिलेगा. साथ ही साथ जेड प्लस सुरक्षा शामिल हो सकता है जो कैबिनेट मंत्री के स्तर की सुरक्षा होती है, उन्हें प्रदान की जाएगी और सरकारी बंगला भी मुहैया कराया जाएगा. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अब 3 सदस्यीय पैनल में शामिल होंगे जो मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त का चयन करेगा.
भाजपा के पास नहीं है पूर्ण बहुमत
आपको बता दे की प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय पैनल में उनकी शक्तियां सीमित होगी क्योंकि तीसरे सदस्य केंद्रीय कैबिनेट सदस्य को प्रधानमंत्री द्वारा चुना जाता है. हालांकि भाजपा के पास इस बार लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है, इसलिए दोनों सदस्य राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर अपने फैसले नहीं थोप सकते हैं. सीबीडी, ईडी और सीवीसी जैसी केंद्रीय एजेंसी के प्रमुखों को चुनने वाली समिति के सदस्य के रूप में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास अधिक शक्तियां होगी. तीन सदस्य समिति का नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी करेंगे और इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शामिल होंगे.