Tejashvi Yadav: बिहार में एनडीए की ऐसी आंधी चली की महागठबंधन का पूरी तरह से सुपड़ा साफ हो गया है. महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव जो लगातार यह दावा कर रहे थे कि इस बार उनकी सरकार बनेगी, उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. महागठबंधन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में केवल 35 सीटों पर सिमट गया, जबकि लेफ्ट के खाते में 9 सीट गई.
सबसे ज्यादा इस चुनाव में एनडीए को 202 सीटें मिली. आपको बता दें कि महा गठबंधन की तरफ से राष्ट्रीय जनता दल ने सबसे ज्यादा 25 सीट जीती और कांग्रेस को केवल 6 सिटें मिली. वहीं वामदल के खाते में सिर्फ तीन सीट आई जबकि विआईपी खाता तक नहीं खोल पाई. अगर तेजस्वी की पार्टी को एक दो सीट कम मिलती तो नेता प्रतिपक्ष बन पाना मुश्किल हो जाता है.
Tejashvi Yadav की बढ़ सकती थी मुसीबत
बिहार का नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए कम से कम 25 विधायकों का होना जरूरी है, इसलिए इस वक्त तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष बनने के पूरे दावेदार है, क्योंकि राजद के पास ये आंकड़ा है. इससे पहले जो विधानसभा चुनाव हुआ उसमें राजद को 75 सीट आई थी लेकिन इस बार पार्टी को सीधे 50 सीटों का नुकसान हुआ. इतने खराब प्रदर्शन की उम्मीद खुद तेजस्वी यादव ने भी नहीं की थी, क्योंकि उन्हें पूरा भरोसा था कि इस बार वह बिहार में तख्ता पलट करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया.
बेहद खराब रहा राजद का प्रदर्शन
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि यह राजद के इतिहास के सबसे खराब प्रदर्शन में से एक है. 2010 में यह देखा गया था कि पार्टी के खाते में सिर्फ 22 सीट आई थी. ताबड़तोड़ कई रैली और जनसभा करने के बावजूद भी तेजस्वी यादव को उम्मीद के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव में सीट नहीं मिल पाई. जहां-जहां से उनके प्रत्याशी के जीतने की उम्मीद थी, वहां से उनके कैंडिडेट को करारी हार मिली.








