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Golghar Patna: गोलघर, बिहार की राजधानी पटना में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है, जो अपने अनूठे स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यह विशाल संरचना (Golghar Patna) न केवल अपनी आकर्षक आकृति के कारण लोगों को आकर्षित करती है, बल्कि यह ब्रिटिश शासनकाल की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है. गोलघर का निर्माण अठारहवीं शताब्दी में हुआ था और यह आज भी बिहार की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है.
गोलघर का निर्माण और इतिहास
गोलघर का निर्माण 1770 के भयंकर अकाल के बाद किया गया था. उस समय बंगाल, बिहार और ओडिशा में भारी अकाल पड़ा था, जिसमें लाखों लोगों की मृत्यु हो गई थी. इस संकट से सबक लेते हुए, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक विशाल अनाज भंडारण गृह बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए 1786 में वारेन हेस्टिंग्स के आदेश पर कैप्टन जॉन गार्स्टिन ने गोलघर (Golghar Patna) का निर्माण करवाया. यह अनाज गोदाम इस उद्देश्य से बनाया गया था कि भविष्य में अकाल जैसी परिस्थितियों से निपटा जा सके.
गोलघर की वास्तुकला और संरचना
गोलघर एक अर्धगोलाकार इमारत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 29 मीटर (96 फीट) है और इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं. यह पूरी तरह से बिना किसी स्तंभ के बना हुआ है, जो इसकी मजबूती को दर्शाता है. इसके निर्माण में ईंट और चूने का उपयोग किया गया है. इस संरचना (Golghar Patna) की एक खास विशेषता यह है कि इसमें ध्वनि गूंजती है. अगर कोई व्यक्ति इसमें ज़ोर से बोलता है, तो उसकी आवाज़ कई बार सुनाई देती है.
गोलघर के शीर्ष तक पहुँचने के लिए 145 घुमावदार सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, जो सर्पिल आकार में ऊपर चढ़ती हैं. इस निर्माण का उद्देश्य यह था कि बैलगाड़ियों से अनाज को ऊपर तक पहुँचाया जा सके और बिना किसी रुकावट के नीचे उतारा जा सके. गोलघर (Golghar Patna) के शीर्ष पर पहुँचने के बाद, वहां से गंगा नदी और पूरे पटना शहर का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है, जो इसे पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाता है.
गोलघर का वर्तमान स्वरूप और पर्यटन
आज गोलघर (Golghar Patna) पटना के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. हर साल हजारों सैलानी इसे देखने आते हैं. पटना आने वाले इतिहास प्रेमी, छात्र, शोधकर्ता और पर्यटक इसे देखने ज़रूर आते हैं. बिहार सरकार ने इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए हैं और इसके आस-पास एक सुंदर बगीचा भी विकसित किया गया है.
हालांकि, गोलघर में वेंटिलेशन की कमी के कारण इसे कभी भी पूरी तरह से अनाज से नहीं भरा जा सका, क्योंकि अंदर हवा की आवाजाही नहीं होने से अनाज खराब होने का खतरा था. इसके बावजूद, यह संरचना आज भी अपनी भव्यता के साथ खड़ी है और इतिहास की महत्वपूर्ण गाथा कहती है.
गोलघर का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
गोलघर न केवल एक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह उस दौर के प्रशासनिक निर्णयों और समाज की आवश्यकताओं को भी दर्शाता है. यह ब्रिटिश काल के दौरान बनाए गए उन कुछ भवनों में से एक है, जो आज भी अपनी मजबूती और अनूठी बनावट के कारण प्रसिद्ध है. पटना के स्थानीय लोगों के लिए गोलघर सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक गर्व का प्रतीक भी है.
बिहार सरकार समय-समय पर इस धरोहर के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाती रही है. इसके आसपास का क्षेत्र पर्यटकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के उद्देश्य से सुधार किया गया है.
निष्कर्ष
गोलघर (Golghar Patna) पटना की पहचान का एक अहम हिस्सा है. यह न केवल स्थापत्य कला का एक बेहतरीन नमूना है, बल्कि इतिहास के एक महत्वपूर्ण कालखंड की याद दिलाता है. यह पटना आने वाले पर्यटकों के लिए अवश्य देखने योग्य स्थल है. इसकी अनूठी संरचना, ऐतिहासिक महत्व और सुंदर दृश्य इसे एक अद्भुत पर्यटन स्थल बनाते हैं. बिहार की इस अमूल्य धरोहर का संरक्षण और संवर्धन करना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस ऐतिहासिक धरोहर का आनंद ले सकें और इससे सीख ले सकें.
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