बिहार का पारंपरिक त्योहार- सतुआनी पर्व 

गर्मी के मौसम में मनाया जाने वाला या त्योहार कृषि और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. इसे बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में खास महत्व दिया जाता है.

यह पर्व वैशाख माह के पहले दिन यानी 14 अप्रैल को मनाया जाता है. इसे  सौर नव वर्ष का पहला दिन भी माना जाता है.

इस दिन लोग मुख्य रूप से चना, जौ  और मकई से बने सत्तू का सेवन करते हैं. जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है.

सत्तू दही कच्चा आम चने की भुजिया और हरी मिर्च इस पर्व के पारंपरिक भोजन में शामिल होते हैं

गर्मियों में सत्तू ठंडक देता है. पेट के लिए फायदेमंद होता है, और ऊर्जा बढ़ता है. इसलिए इसे गरीबों का प्रोटीन भी कहा जाता है.

इस दिन लोग गंगा में स्नान करते हैं. और सूर्य देव की पूजा कर स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं.

सतुआनी, पटना, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, वैशाली और समस्तीपुर में धूमधाम से मनाई जाती है

भले ही समय बदल गया हो, लेकिन सतुआनी आज भी गर्मियों में शरीर को ठंडक देने और ग्रामीण संस्कृति को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण पर्व है.