Bihar Bridge Collapse: बिहार (Bihar) में इस वक्त देखा जाए तो लगातार एक के बाद एक पुल गिरने का सिलसिला अभी भी जारी है, जिस वजह से नीतीश सरकार अब कटघरे में खड़ी हो चुकी है. बिहार (Bihar) के सिवान और मुजफ्फरपुर में एक बार फिर से पुल गिरने की घटना सामने आई है. इस घटना के बाद कुल मिलाकर सिवान में दो पुल गिरे हैं. वही मुजफ्फरपुर में एक पुल पानी में बह गया है. आज से 10 दिन पहले ही यह देखा गया था कि सिवान में एक पुल गिरा था.
इस बार महाराजगंज जिला में पुल गिरने की घटना सामने आई है. पुल गिरने के कारण लोगों के लिए आवागमन बाधित हो गया है, जिस वजह से लोग काफी परेशान है. आपको बता दे कि जो दो पुल गिरा है उसमें एक पुल 1998 में तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह की मद से 6 लाख की लागत से बनाया गया था. दूसरा पुल जो ध्वस्त हुआ है, उसे 2004 में 10 लाख की लागत से सांसद की मदद से ही बनाया गया था.
Bihar के लोगों ने लगाया ये आरोप
पुल गिरने के बाद लोगों ने यह आरोप लगाया है कि पुल तो बन गया था लेकिन इसके बाद एक बार भी इसकी मरम्मत नहीं कराई गई जिस कारण पुल का यह हालत हुआ. पुल गिरने से कई गांव का संपर्क टूट गया है, जहां अब इस मामले में आधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. आज से 10 दिन पहले भी जिले में पटेढा गरौली को जोड़ने वाला पुल ध्वस्त हो गया था और आज यह तीसरा पुल है, जो बुरी तरह से गिर गया है. इसी क्रम में मुजफ्फरपुर के अतरार घाट पर बना चचरी पुल बागमती नदी की तेज धार में बह गया. ग्रामीणों ने यह आरोप लगाया है कि लाखों रुपए चंदा लेकर हम लोग पुल बनवाते हैं और पुल हर साल नदी में बह जाता है.
एक्शन में है Bihar सरकार
बिहार (Bihar) में 13 दिनों के अंदर छह पुल गिरने के बाद अब नीतिश सरकार की आंखें खुली है और इसकी जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है. साथ ही साथ यह बताया गया है कि पुलों के टुटने के पीछे का कारण का विश्लेषण किया जाएगा और आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश होगी. 13 दिनों के अंदर जितने भी पुल टूटे हैं या जमींदोज हुए हैं. उसमें निर्माणाधीन पुल भी शामिल है. इन पुलों को राज्य के ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा बनाया गया था या बनाया जा रहा था. विभाग ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों से हाल ही में सामने आए पुल की घटनाओं के लिए जांच के लिए इंजीनियर की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है.